MCD Elections: दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के महापौर पद का चुनाव आज गुरुवार (14 नवंबर) को होगा। इसमें बीजेपी और आम आदमी पार्टी (आप) अपने-अपने उम्मीदवारों के लिए समर्थन जुटाने की पूरी कोशिश कर रही हैं। इस बार का चुनाव विशेष है, क्योंकि महापौर की सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। पिछले महापौर चुनाव के अनुभव को देखते हुए इस बार भी चुनाव के दौरान हंगामे की आशंका जताई जा रही है, क्योंकि पहले भी सदन की बैठकों में बीजेपी और आप के बीच तीखे टकराव और हंगामे देखे गए हैं।

AAP के महेश खिंची और BJP किशन लाल मैदान के बीच मुकाबला

महापौर पद के लिए आप की ओर से देवनगर के पार्षद महेश खिंची और बीजेपी की ओर से शकूरपुर के पार्षद किशन लाल मैदान में हैं। वहीं, उपमहापौर पद के लिए आप से रविंदर भारद्वाज और बीजेपी से नीता बिष्ट के बीच मुकाबला है। अप्रैल में ही दोनों पार्टियों ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी थी, लेकिन चुनाव में देरी का कारण राजनीतिक मतभेद और प्रशासनिक अड़चने रहीं।

उपराज्यपाल ने बीजेपी की सत्या शर्मा को बनाया पीठासीन अधिकारी

महापौर चुनाव की निगरानी के लिए बीजेपी की पार्षद सत्या शर्मा को पीठासीन अधिकारी नियुक्त किया गया है। उन्होंने पिछले महापौर चुनाव का भी संचालन किया था। नगर निगम अधिनियम के तहत दिल्ली के उपराज्यपाल द्वारा शर्मा को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है। शर्मा की भूमिका चुनाव को पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से पूरा कराने में महत्वपूर्ण होगी, ताकि किसी तरह का विवाद न उत्पन्न हो।

पिछले चुनाव में देरी के कारण

पिछले साल फरवरी में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार शैली ओबेरॉय को मेयर और आले मुहम्मद इकबाल को डिप्टी मेयर चुना गया था। परंतु इस वर्ष एमसीडी एक्ट के अनुसार, तीसरे साल में महापौर का पद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होता है। इस प्रावधान के चलते दोनों पार्टियों को अपने नए उम्मीदवारों की घोषणा करनी पड़ी। अब सवाल यह है कि इस बार चुनाव शांति से पूरे होंगे या फिर पिछली बैठकों की तरह हंगामे के बीच ही गुजरेंगे।

एमसीडी में संख्या का समीकरण

वर्तमान में एमसीडी में आप के पास 127 पार्षद और बीजेपी के पास 114 पार्षद हैं। बीजेपी के पास 7 सांसद और एक विधायक का समर्थन भी है, जिससे उनका कुल समर्थन 122 तक पहुंच सकता है। आप के पास 13 विधायक और राज्यसभा सांसदों का समर्थन है, जिससे उनकी संख्या अधिक है। दोनों पार्टियों के पार्षदों के आंकड़े वोटिंग के समय निर्णायक साबित होंगे।

एमसीडी में कांग्रेस के 8 पार्षद भी हैं, जिनकी भूमिका इस चुनाव में अहम हो सकती है। पिछले चुनाव में कांग्रेस ने मतदान से दूरी बनाई थी, लेकिन इस बार भी कयास यही है कि कांग्रेस पार्टी के पार्षद चुनाव में तटस्थ बने रह सकते हैं। कांग्रेस पार्षदों को चुनाव के दिन दोपहर 12 बजे दिल्ली कांग्रेस कार्यालय में बुलाया गया है, जहां पर आगे की रणनीति पर चर्चा की जाएगी।

नगर निगम सदन में चुनाव के दौरान हंगामे की संभावना जताई जा रही है, क्योंकि इससे पहले महापौर चुनाव में भी मारपीट जैसी स्थिति देखी गई थी। दोनों पार्टियों के बीच सदन में अकसर विवाद और आपसी आरोप-प्रत्यारोप की स्थिति बनती रही है। एमसीडी में महापौर का चुनाव एक चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया बन चुका है, जिसमें राजनीति का असर और दलों के बीच खींचतान स्पष्ट रूप से दिखती है। इस चुनाव के नतीजे जहां एमसीडी के अगले महापौर का चयन करेंगे, वहीं दिल्ली के राजनीतिक परिदृश्य में भी एक नई दिशा तय कर सकते हैं।