दिल्ली में सत्ता परिवर्तन के बाद शहर की जलापूर्ति और सीवरेज प्रणाली को मजबूत बनाने की दिशा में लगातार कई कदम उठाए जा रहे हैं। इसमें धन की किसी तरह की कोई कमी नहीं रहे, इसका भी पूरा ख्याल रखा जा रहा है। खुद केंद्रीय गृह मंत्रालय, जल बोर्ड के कार्यकलाप, उसके कामकाज और धनराशि की जरूरतों पर पूरी नजर बनाए हुए है। इस कड़ी में गृह मंत्रालय के आदेश पर जल्द ही दिल्ली जल बोर्ड को 50 करोड़ रुपए का ऋण मुहैया कराया जाएगा, जिससे कि वह लंबित बिलों का भुगतान कर सकेगा।

आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, पिछले दिनों गृह मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव (यूटी) की अध्यक्षता में वित्त मंत्रालय के आर्थिक कार्य विभाग (डीईए) और दिल्ली सरकार के वित्त, शहरी विकास विभाग और दिल्ली जल बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारियों की एक अहम बैठक हुई थी। बैठक में शहरी विकास विभाग के सचिव पांडुरंग पोले, वित्त विभाग के लेखा नियंत्रक एलडी जोशी के अलावा दिल्ली जल बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी कौशल राज शर्मा, वित्त विभाग के निदेशक डीएस जगलान समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी प्रमुख रूप से मौजूद रहे।

जल शोधन संयंत्र में दिल्ली जल बोर्ड कार्यान्वयन एजंसी

इस दौरान खासतौर पर जल सुधार परियोजना के तहत दिल्ली सरकार के चंद्रावल जल उपचार संयंत्र को ऋण मद में धनराशि के आबंटन और उसके पुनर्भुगतान के मामले पर चर्चा की गई। जल शोधन संयंत्र में दिल्ली जल बोर्ड कार्यान्वयन एजंसी है। दिल्ली जल बोर्ड को अपने लंबित प्रतिपूर्ति दावों को तुरंत प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं ताकि जापान अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एजंसी (जेआइसीए) द्वारा समय पर भुगतान सुनिश्चित किया जा सके। इसके अलावा इस राशि को आबंटित करने से पहले यह भी साफ किया गया है कि दिल्ली सरकार को जारी राशि के बीच में बने अंतर को भी पाटने का काम किया जाएगा।

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इसका जिम्मा वित्त मंत्रालय के अधीनस्थ आर्थिक कार्य विभाग (डीईए) के अंतर्गत सहायता लेखा और लेखा परीक्षा नियंत्रक (सीएएए) का कार्यालय करेगा। यह विभाग दिल्ली सरकार को गृह मंंत्रालय और जेआइसीए से प्राप्त राशि के बीच के अंतर की भरपाई करने का काम करेगा।

सूत्र बताते हैं कि जेआइसीए, जल बोर्ड को ऋण प्रतिपूर्ति करने को तैयार है लेकिन इससे पहले दिल्ली जल बोर्ड को बिलों का का भुगतान करना होगा। जेआइसीए की ओर से दिया जाने वाला ऋण, प्रतिपूर्ति आधार पर ही दिया जाता है। इस मामले पर जल बोर्ड ने स्पष्ट किया है कि उसके पास करीब 50 करोड़ रुपए के बिल भुगतान के लिए तैयार हैं। फंड की कमी होने पर जल बोर्ड ने यह भी कहा कि इस तरह की स्थिति में दिल्ली सरकार, डीजेबी के लिए लघु परिक्रामी निधि (रिवाल्विंंग फंड) बनाने के विकल्प पर विचार कर सकती है।

इस तरह की वित्तीय व्यवस्था में एक तय राशि का इस्तेमाल करके कुछ समय बाद उसी राशि को फिर से उपलब्ध कराया जाता है। इससे वह लंबित बिलों का भुगतान कर सकेगा। इसके बाद सहायता लेखा और लेखा परीक्षा नियंत्रक (सीएएए) के कार्यालय में यह सभी प्रतिपूर्ति दावे प्रस्तुत किए जा सकेंगे।

सूत्रों का कहना है कि इस समस्या का समाधान निकालने के लिए गृह मंत्रालय के केंद्र शासित प्रदेश प्रभाग के योजना प्रकोष्ठ की ओर से एक मसविदा तैयार किया जाएगा। यह मसविदा प्रधान लेखा कार्यालय, गृह मंत्रालय और अन्य हितधारकों से परामर्श करने के बाद तैयार किया जाएगा।