Delhi Highcourt News: दिल्ली हाईकोर्ट ने मजार के साथ दीवार शेयर करने वाले एक स्कूल से जुड़े एक मामले में महत्वपूर्ण टिप्पणी की गई है। दिल्ली हाईकोर्ट ने आश्चर्य जताते हुए कहा कि कैसे कोई स्कूल सिर्फ बाउंंड्री वॉल, टॉयलेट ब्लॉक और पीने के पानी के साथ और बिना कक्षाओं के संचालित किया जा सकता है।

अदालत ने यह टिप्पणी तब आई है जब संबंंधित विभाग ने खिड़की गांव में स्थित एक MCD स्कूल में (जिसकी दीवार सूफी संत यूसुफ कत्तल की मजार से मिलती है) कक्षाओं को छोड़कर, कुछ अन्य सुविधाओं की मरम्मत और रिनोवेशन की इजाजत दी है। दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि अगर स्कूल को संचालित करना है तो उसमें अन्य सुविधाओं के साथ, जिनकी मरम्मत / रिनोवेशन की इजाजत सक्षम प्राधिकारी द्वारा 14 मई, 2025 के पत्र द्वारा दी गई है, कक्षाओं की भी जरूरत होगी।

न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, दो जुलाई को दिए गए ऑर्डर में चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की बेंच ने कहा कि यह समझ से परे है कि कोई स्कूल बिना कक्षाओं के और सिर्फ बाउंंड्री वॉल, टायलेट्स और ड्रिंकिंग वाटर की सुविधा के साथ कैसे चल सकता है। दिल्ली हाईकोर्ट में दायर की गई यह याचिका उस स्कूल से जुड़ी है, जिसका निर्माण साल 1949 में दक्षिणी दिल्ली के खिड़की गाव में किया गया था। यह स्कूल मजार के साथ बाउंड्री वॉल शेयर करता है। 

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2012 में ध्वस्त किया गया था स्कूल

न्यूज एजेंसी पीटीआई / भाषा के अनुसार, याचिकाकर्ता खिड़की गांव निवासी कल्याण संघ के वकील ने कोर्ट को बताया कि 60 सालों की अवधि के बाद उन्हें स्कूल के पुनर्निर्माण की जरूरत महसूस हुई क्योंकि खिड़की गांव और आसपास के क्षेत्रों की जनसंख्या बढ़ गई है। स्कूल के पुराने ढांचे को 2012 में ध्वस्त कर दिया गया था और इसके 350 छात्रों को एमसीडी के एक अन्य स्कूल में ट्रांंसफर कर दिया गया था।

ASI ने स्कूल के पुनर्निर्माण पर यह कहते हुए रोक लगा दी थी कि मकबरे के निषिद्ध क्षेत्र (prohibited area) में किसी भी निर्माण की अनुमति नहीं है और स्कूल के पुनर्निर्माण के लिए उससे NOC लेना जरूरी है। अदालत ने टिप्पणी की कि निवासी कल्याण संघ की पूर्व याचिका का पिछले साल निपटारा कर दिया गया था, क्योंकि एमसीडी ने स्कूल के पुनर्निर्माण या मरम्मत के लिए एएसआई से नई अनुमति के लिए आवेदन किया था।

हाईकोर्ट ने पूर्व याचिका का निपटारा करते हुए ASI को निर्देश दिया था कि वह MCD द्वारा दायर आवेदनों पर कानून के अनुसार तथा यथासंभव शीघ्रता से, छह सप्ताह के भीतर निर्णय ले। हाईकोर्ट ने कहा कि हालांकि आदेश पारित होने के बाद एक वर्ष बीत चुका है लेकिन कुछ भी नहीं किया गया जिसके कारण 2025 में नयी याचिका दायर की गई। बेंच ने कहा कि हमें ऐसा लगता है कि ASI और MCD दोनों ही स्कूल के पुनर्निर्माण या मरम्मत के लिए मंजूरी लेने के प्रति गंभीर नहीं है।

बेंच ने कहा कि वह “आश्चर्यचकित” है कि इस कोर्ट द्वारा पारित आदेश जिसका छह सप्ताह के भीतर पालन किया जाना था, लेकन एक साल बाद भी उस दिशा में कोई काम नहीं हुआ है। बेंच ने कहा, “यह हमारी समझ से परे है कि एमसीडी और एएसआई दोनों के अधिकारी इस तरह से कैसे काम कर रहे हैं, जिससे अवमानना कार्यवाही शुरू होने का खतरा है…।”

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