अमेरिका में बसे एक भारतीय जोड़े को राहत देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने मैरिज सर्टिफिकेट के लिए ऑनलाइन मौजूदगी को वैध माना है। दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि शादी के पंजीकरण के लिए संबंधित अधिकारी के समक्ष व्यक्तिगत रूप से पेश होने में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मौजूद होना भी शामिल है।
गुरुवार को दंपती की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने कहा कि, ‘जब वीडियो कॉन्फ्रेंस का उपयोग शुरुआती चरण में था तब भी उच्च न्यायालय ने 2007 में वर्चुअल माध्यम से विवाह के पंजीकरण की अनुमति दी थी। इसलिए मुझे लगता है कि सशरीर उपस्थित होने की की जरुरत में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से भी मौजूदगी को शामिल किया जा सकता है।’
साथ ही उन्होंने कहा कि वह पंजीकरण के लिए वर्चुअल उपस्थिति की अनुमति मांगने वाली याचिका को स्वीकार करेंगी। उन्होंने दंपती को इस बात का आश्वासन भी दिया कि उनको एक-दो दिन में इससे संबंधित आदेश भी मिल जाएगा। दरअसल अमेरिका में रह रहे दंपती ने याचिका में कहा था कि उनका विवाह वर्ष 2012 में हुआ था। उन्होंने दिल्ली विवाह पंजीकरण अनिवार्य आदेश 2014 के अनुसार अपने विवाह पंजीकरण के लिए ऑनलाइन आवेदन को स्वीकार करने की मांग की थी। यह आग्रह भी किया था कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबंधित अधिकारी के सामने पेश होने की अनुमति दी जाए।
लेकिन विदेश में बसे होने के कारण उसकी शादी पंजीकृत नहीं की गई थी। जिसकी वजह से उसे ग्रीन कार्ड हासिल करने में भी समस्या हो रही थी। दंपती ने इसके लिए एसडीएम के सामने भी आवेदन किया था। एसडीएम की ओर से उचित जवाब नहीं मिलने पर दंपती ने दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया था। जहां दंपती के वकील ने कोविड-19 महामारी और कई देशों द्वारा लगाए गए यात्रा प्रतिबंधों को ध्यान में रखते हुए वर्चुअल उपस्थिति की मंजूरी देने की मांग की थी।
लेकिन दिल्ली सरकार के वकील ने पिछली सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय से दंपती की मांग को खारिज करने की मांग की थी और दलील थी कि जो अपनी शादी का रजिस्ट्रशन कराते है एसडीएम दफ्तर में उनको अपनी तस्वीर भी खिंचवानी पड़ती है। यह फोटो एक सॉफ्टवेयर की मदद से ली जाती है और रजिस्ट्रेशन के वक्त दंपति को एसडीएम दफ्तर में मौजूद रहना पड़ता है। इसलिए वर्चुअल उपस्थिति की इजाजत नहीं दी जा सकती है। दिल्ली सरकार की इस दलील पर हाईकोर्ट ने कहा था कि यह समस्या आपकी है जोड़े की नहीं है। साथ ही कोर्ट ने दिल्ली सरकार को अपना जवाब रखने के लिए कहा था।