दिल्ली हाई कोर्ट ने एक जनवरी से निजी वाहनों के परिचालन के लिए सम-विषम नंबर प्लेट फार्मूले को लागू करने की आप सरकार की योजना पर अंतरिम रोक लगाने से बुधवार को इनकार कर दिया। मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी और न्यायमूर्ति जयंत नाथ के एक पीठ ने उसे मिली पांच जनहित याचिकाओं में से एक याचिका के इस अनुरोध को खारिज कर दिया कि अदालत को कम से कम छह जनवरी तक सरकार की योजना के क्रियान्वयन पर रोक लगानी चाहिए। इस मामले पर जनहित याचिकाओं की सुनवाई के लिए अगली तारीख छह जनवरी ही तय की गई है।

पीठ ने कहा, ‘माफ कीजिएगा। हम यह नहीं जानते की कि यह (सम-विषम फार्मूला) लागू होगा या नहीं। दिल्ली सरकार इस मामले पर अभी तक कोई योजना नहीं लेकर आई है।’ पीठ ने कहा, ‘आज हम ऐसी कोई राहत नहीं दे सकते।’ पीठ ने कहा कि सरकार ने समाज के विभिन्न भागीदारों से अपनी अपनी राय देने की अपील की है और उन्होंने आज तक किसी योजना को अंतिम रूप नहीं दिया है।

अतिरिक्त स्थायी वकील (एएससी) पीयूष कालरा ने दिल्ली सरकार की ओर से पेश होकर अदालत के समक्ष कहा कि प्रस्तावित योजना के लिए उनके पास अभी तक कोई अधिसूचना नहीं है। इस बीच पीठ ने सरकार से कहा कि वह शारीरिक रूप से अक्षम निपुण मल्होत्रा की मांग पर विचार करे। मल्होत्रा याचिकार्ताओं में शामिल हैं। उन्होंने अदालत से अपील की है कि उनके जैसे यात्रियों को अपने वाहन इस्तेमाल करने की अनुमति दी जाए क्योंकि सार्वजनिक परिवहन शारीरिक रूप से अक्षम लोगों के अनुकूल नहीं हैं।

अदालत ने कहा, ‘हम लोगों के इस वर्ग (शारीरिक रूप से अक्षम) के लिए चिंतित हैं इसलिए दिल्ली सरकार को उन्हें भी ध्यान में रखना चाहिए।’ पीठ ने सरकार से पूछा, ‘अक्षम लोगों के संबंध में आप क्या सावधानी बरत रहे हैं?’ अदालत सम-विषम नंबर प्लेट फार्मूला लागू करने की आप सरकार की योजना के खिलाफ विभिन्न लोगों द्वारा दायर पांच जनहित याचिकाओं की सुनवाई कर रही थी।

नोएडा से दिल्ली यात्रा करने वाली एक याचिकाकर्ता गुंजन खन्ना ने अपनी याचिका में कहा कि यदि कोई परिवहन के अधिक पर्यावरण अनुकूल तरीके का इस्तेमाल करना चाहता है तो साइकिल चलाने के लिए अलग से लेन ही नहीं हैं। गुंजन के साथ संयुक्त रूप से याचिका दायर करने वाले वकील मनोज कुमार ने कहा कि दिल्ली सरकार को ‘निर्णय लागू करने से पहले इस मामले पर सार्वजनिक बहस करानी चाहिए।’

सामाजिक कार्यकर्ता अनीत कुमार बहूटे ने एक अन्य याचिका में कहा कि सरकार ने बिजली चालित वाहनों या हाइब्रिड कारों के इस्तेमाल को प्रोत्साहित करने के लिए पिछले दस बरसों में कुछ नहीं किया। याचिका में कहा गया है, ‘याचिका सुधारवादी कम और अराजकता पैदा करने वाली ज्यादा है।’

इससे पहले हाई कोर्ट ने जनहित याचिकाओं पर कोई भी अंतरिम आदेश देने से इनकार करते हुए कहा था, ‘दिल्ली सरकार ने एक योजना प्रस्तावित की है जिसे 15 दिनों के परीक्षण के लिए एक जनवरी 2016 से लागू किया जाना है। उन्हें (दिल्ली सरकार) परीक्षण करने दो।’

अदालत ने यह मौखिक अवलोकन श्वेता कपूर और सर्वेश सिंह की याचिकाओं पर किया था, जिन्होंने नीति के क्रियान्वयन पर रोक लगाने का आदेश दिए जाने की मांग की थी। एक याचिकाकर्ता ने दावा किया, ‘ऐसी नीति का क्रियान्वयन लोक हित के विपरीत है और इसे सार्वजनिक बहस या चर्चा के बिना और भारत में स्थिति, तथ्यों और परिस्थितियों को समझे बिना लागू किया जा रहा है।’ याचिका में सवाल किया गया था कि क्या आप सरकार को राष्ट्रीय राजधानी में वाहन की आवाजाही में बदलाव करने का अधिकार है?

उन्हें परीक्षण करने दो: हाई कोर्ट ने जनहित याचिकाओं पर कोई भी अंतरिम आदेश देने से इनकार करते हुए कहा था, ‘दिल्ली सरकार ने एक योजना प्रस्तावित की है जिसे 15 दिनों के परीक्षण के लिए एक जनवरी 2016 से लागू किया जाना है। उन्हें (दिल्ली सरकार) परीक्षण करने दो।’