दिल्ली में दीवाली और नए साल के जश्न के दौरान होने वाले प्रदूषण को लेकर सरकार पहले ही सतर्क हो गई है। हर साल दिल्ली में यह बड़ी समस्या बन जाती है। इसे देखते हुए आतिशी सरकार ने एक बार फिर ऑड ईवन लागू करने के संकेत दिए हैं। पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि अगर दिल्ली में AQI का स्तर 450 से अधिक होता है तो ऑड ईवन लागू किया जा सकता है। इतना ही नहीं सरकार 1 से 15 नवंबर के बीच दिल्ली में कृत्रिम बारिश कराने की भी तैयारी कर रही है।
गोपाल राय ने कहा कि सरकार ने बड़ा फैसला किया है। जो भी एजेंसी, निजी निर्माण एजेंसी, कंपनी, सरकारी कर्मचारी प्रदूषण को नियंत्रित करने में सबसे अच्छा काम करेगी उसे प्रोत्साहित करने के लिए ‘हरित रत्न पुरस्कार’ से सम्मानित किया जाएगा। इसके अलावा प्रदूषण फैलाने वालों को दंडित भी किया जाएगा। गोपाल राय ने कहा कि इस बार हमने 21 सूत्रीय विंटर एक्शन प्लान बनाया है। दिल्ली में पहली बार हॉट स्पॉट की ड्रोन से निगरानी करने का फैसला लिया गया है। इससे रियल टाइम में प्रदूषण की वजह का पता लगाया जा सकेगा।
प्रदूषण को रोकने के लिए 6 सदस्यीय एसटीएफ का गठन भी किया गया है।निजी और सरकारी के पास 7 अक्टूबर तक का समय है, अगर वे तब तक मापदंडों को पूरा नहीं करती हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू होगी। उन्होंने कहा कि 500 मीटर से अधिक के सभी निर्माण स्थलों को पोर्टल पर पंजीकृत करना होगा। दिल्ली में 85 रोड स्वीपिंग मशीनें लगाई जा रही हैं, 500 पानी छिड़कने वाली मशीनों का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। इस बार 200 मोबाइल एंटी स्मॉग गन चलाई जाएंगी।
पटाखों पर जारी रहेगा बैन
गोपाल राय ने कहा कि इस साल भी दिल्ली में पटाखों पर बैन जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि फिलहाल पटाखों पर कोई बैन नहीं है। जिस दिन इसकी अधिसूचना जारी होती, उसी दिन से बैन शुरू हो जाएगी। अभी सरकार ने इसे लेकर अधिसूचना जारी नहीं की है। बता दें कि पिछले साल भी दिल्ली सरकार ने वायु प्रदूषण को नियंत्रण में रखने के लिए पटाखों पर बैन लगाया था।
क्या है ऑड-ईवन फॉर्मूला?
ऑड-ईवन में सड़कों पर निजी वाहन को वैकल्पिक दिन दिए जाते हैं, जिस दिन वो अपने वाहनों को सड़कों पर दौड़ा सकते हैं और वो दिन उनकी नंबर प्लेट के आखिरी अंक पर निर्भर करता है। इसमें नंबर प्लेट के आखिरी अंक 1, 3, 5, 7, 9 को एक दिन और 0, 2, 4, 6, 8 को दूसरे दिन गाड़ी चलाने की इजाजत दी जाती है। इससे सड़क पर ट्रैफिक आधा हो जाता है। इसे दिल्ली में सबसे पहले दिसंबर 2015 और जनवरी 2016 में लागू किया गया। इसके बाद 2019 में भी इसे लागू किया गया।