Delhi News: देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के लाल बहादुर शास्त्री हॉस्पिटल की फॉर्मेसी के बाहर सैकड़ों लोग जमा हुए। उन सभी को यह आस थी कि उन्हें उसी हॉस्पिटल के डॉक्टरों की तरफ से लिखी गई दवाएं मिल जाएंगी। हालांकि, ज्यादातर लोग निराश होकर लौटते हैं। दिल्ली सरकार की तरफ से चलाए जा रहे अस्पतालों और मोहल्ला क्लीनिकों में मरीजों को चाहे वे हॉस्पिटल में एडमिट हो या अस्पताल से बाहर फ्री में दवाइयां दी जाती हैं।

मयूर विहार के पास गडोली गांव के रहने वाला जयचंद भी काफी निराश हैं। उन्होंने कहा, ‘उनके पास सिर्फ एसिडिटी की दवा है। अब मुझे बाकी दवा बाहर से ही लेनी पड़ेंगी। बाहर से उनका मतलब निजी फॉर्मिसियों से है। यहां पर उन्हें दवाइयों के पैसे देने पड़ते हैं। जयचंद ने बताया कि उन्हें तीन दवाइयां दी गई थीं। इनमें से उन्हें एसिडिटी के लिए सिर्फ पैनटॉप 40 ही मिल पाई। फार्मासिस्ट ने उन्हें डायबिटीज, सूजन और दर्द की दवाइयां खुद खरीदने को कहा।

कल्पना नाम की एक महिला को भी फॉर्मेसी से सभी दवाइयां नहीं मिल पाईं। कल्पना अपनी एक साल आठ महीने की बेटी को बुखार और जुकाम के लक्षण दिखने के बाद में हॉस्पिटल लेकर आईं। उन को भी फॉर्मेसी से दवाइयां नहीं मिल पाईं। कल्पना ने कहा कि डॉक्टर ने जो चार दवाइयां लिखीं हैं उनमें से नेजल ड्रोप और मल्टी-विटामिन सप्लीमेंट सिरप स्टॉक में ही नहीं है। मुझे सिर्फ और सिर्फ एलर्जी और बुखार के लिए ही सिरप मिल पाई। कल्पना के मुताबिक, पिछले साल से ही दवाओं की कमी बनी हुई है।

दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री के रडार पर मोहल्ला क्लीनिक

स्वास्थ्य मंत्री ने क्या कहा?

दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि मौजूदा हालात एक महीने पहले से काफी बेहतर हैं और अस्पतालों में दवाओं की आपूर्ति शुरू हो गई है। दिल्ली की सत्ता में काबिज हुई भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने हेल्थ सेक्टर में बदलाव का वादा किया है। सरकार ने आयुष्मान योजना लागू करने का वादा किया है। पंकज सिंह ने पिछले हफ्ते ही कहा था कि छह नए जन औषधि केंद्र खोले जाएंगे। इन पर बाहर के मुकाबले कम दामों पर दवाएं बेची जाएंगी। हालांकि, दिल्ली के हॉस्पिटल जरूरी दवाओं की कमी से जूझ रहे हैं। पिछली छमाही में भी इसी तरह की कमी की शिकायत देखने को मिली थीं।

इंडियन एक्सप्रेस ने तीन हॉस्पिटल का दौरा किया। चाचा नेहरू हॉस्पिटल में बच्चों में उल्टी के इलाज के लिए यूज की जाने वाली डोमपेरिडोन जैसी दवाओं के साथ-साथ एमोक्सिक्लेव और सेफिक्सिम 200 एमजी जैसी दवाओं का स्टॉक खत्म हो गया था। जीटीबी अस्पताल में तैनात एक रेजिडेंट डॉक्टर के मुताबिक, मरीज प्राइवेट फॉर्मेसी से दवाएं खरीदने असमर्थ हैं। उल्टी, बुखार और एसिडिटी के लिए दवाएं भी मौजूद नहीं है। हमें ऑप्शन देने के लिए कहा गया है। उन्होंने इसे एक उदाहरण के जरिये ऐसे बताया जैसे, ‘एसिडिटी के लिए आमतौर पर लिखी जाने वाली दवाओं के बजाय, हम ऐसे विकल्प इस्तेमाल कर रहे हैं जिन्हें हम आमतौर पर पसंद नहीं करते हैं, जैसे कि डाइजीन एंटासिड टैबलेट।’

12 मोहल्ला क्लीनिक और 13 सरकारी डिस्पेंसरियों का कायाकल्प करेगी रेखा सरकार

अस्पताल में जरूरी दवाओं की कमी

बुराड़ी अस्पताल में पिछले फाइनेंसियल की चौथी तिमाही 1 जनवरी से 31 मार्च में 306 दवाओं में से केवल 34 का ही ऑर्डर दिया गया है। दिल्ली सरकार के न्यूरो, कार्डियोथोरेसिक और गैस्ट्रोएंटरोलॉजी देखभाल देने वाले अस्पताल जीबी पंत अस्पताल में डॉक्टरों की शिकायत है कि जरूरी दवाओं की लिस्ट में इकोस्प्रिन, क्लोपीटेब के साथ-साथ डाइजीन और ब्रूफेन जैसी दवाएं मौजूद नहीं हैं। हालात छोटे सरकारी अस्पतालों और डिस्पेंसरियों में ज्यादा खराब हैं। यह खुद दवाइयां नहीं खरीदते हैं, बल्कि सीपीए पर डिपेंड हैं।

हेल्थ डिपार्टमेंट के एक सूत्र ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि यह कमी केवल टेंडर प्रक्रिया में देरी की वजह से है। एक अधिकारी ने कहा, ‘अगर मौजूदा टेंडर प्रक्रिया समय पर पूरी की जाती है, तो कम से कम अगले छह महीने तक यह समस्या बनी रहेगी। अगर यह आगे नहीं बढ़ती है, तो हमें नहीं पता कि इसमें कितना समय लगेगा।’ एक अधिकारी ने बताया कि जुलाई-अगस्त में एक टेंडर के विफल होने के बाद पिछले सितंबर में टेंडर जारी किया गया था।

एक महीने के मुकाबले स्थिति काफी बेहतर- पंकज सिंह

इस मामले पर सवाल किए जाने पर मंत्री पंकज सिंह ने कहा कि जो टेंडर जारी किया गया था, उसमें से कुछ मुद्दे थे और इसमें ब्लैक लिस्टेड कंपनियां थीं। यही वजह है कि हम टेंडर प्रक्रिया पर विचार कर रहे हैं। हम इसके कानूनी पहलुओं पर भी विचार कर रहे हैं। पंकज सिंह ने कहा, ‘अगर आप एक महीने पहले की स्थिति से तुलना करें, तो हमने दवा की कमी के मामले में कई अस्पतालों की स्थिति में सुधार किया है। मैं यह सुनिश्चित करना चाहता हूं कि हम जल्द ही किसी भी दवा की कमी की समस्या को सुलझा लेंगे। हमने अस्पतालों को जरूरी दवाएं मुहैया कराकर इस पर काम करना शुरू कर दिया है। जो कुछ भी बचा है, हम उस पर विचार कर रहे हैं और हम जल्द ही इसे हल कर लेंगे।’