Delhi Flood News: उत्तरी दिल्ली के सिविल लाइंस में बारिश के बाद पानी घुसने के बाद कुछ परिवार दूसरी जगहों पर चले गए हैं। वहीं कुछ लोग केवल इसलिए जा रहे हैं कि बिजली गुल हो गई है। जो लोग यहां पर रह गए हैं, वे या तो यही के लोग हैं, जिन्होंने अपने इन्वर्टर के खराब हो जाने के बाद किसी तरह जनरेटर का इंतजाम कर लिया है।

यमुना के पूर्वी तट के काफी करीब स्थित इस क्षेत्र में बड़ी-बड़ी कोठियां हैं। हालांकि, इस बार पानी मुख्य सड़क और एक पॉश लेन से बच गया और सिविल लाइंस में मुख्य सड़क के साथ सर्विस लेन तक ही सीमित रहा। इस बीच, दिल्ली के सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण मंत्री प्रवेश वर्मा ने शुक्रवार को सिविल लाइंस में यमुना के पानी के घुसने के दावों का खंडन किया।

प्रवेश वर्मा ने क्या कहा?

प्रवेश वर्मा ने कहा, “यह सिर्फ बारिश के कारण हुआ जलभराव है। यमुना और सिविल लाइंस इलाके के बीच एक चौड़ी स्लिप रोड है, जो रिंग रोड से लगभग 10 फ़ीट नीचे है। उस स्लिप रोड पर जलभराव है जिसे हम पंप से निकालने की कोशिश कर रहे हैं।” मंजू गुप्ता की गली में पानी नहीं घुसा था, लेकिन वह भी दूसरी जगह पर शिफ्ट होने की तैयारी कर रही थीं। उन्होंने कहा, “बिजली के बिना सब कुछ ठप हो जाता है।”

हमारे इनवर्टर जवाब दे गए- सिद्धांत सेठी

यहां पर रहने वाले अन्य व्यक्ति सिद्धांत सेठी ने कहा, “पिछले तीन दिनों से बिजली नहीं है। कल हमारे इनवर्टर जवाब दे गए। इन जनरेटरों का इस्तेमाल ही रुकने का एकमात्र उपाय था।” शुक्रवार को एक बयान में बिजली कंपनी टाटा पावर-डीडीएल ने कहा, “यमुना के बढ़ते जलस्तर और बाढ़ की बढ़ती संभावना के कारण, टाटा पावर-डीडीएल जनता की सुरक्षा के लिए एहतियाती कदम उठाते हुए यमुना के आसपास के निचले इलाकों में बिजली आपूर्ति बंद कर रही है। बिजली दुर्घटनाओं को रोकने और संवेदनशील इलाकों में रहने वाले सभी निवासियों की भलाई सुनिश्चित करने के लिए अस्थायी बिजली कटौती की जा रही है।”

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सर्विस लेन पर पानी अब कम हो रहा है लेकिन अभी भी बंगलों के रैंप को छू रहा है। ऐसे ही एक बंगले में सुरक्षाकर्मी मुकेश शर्मा ने बताया कि उनकी आर्थिक स्थिति उन्हें इस काम के लिए ‘ना’ कहने की इजाजत नहीं देती, भले ही इलाके में बाढ़ आ रही हो। शर्मा ने कहा, “मैं 10,000 रुपये महीना कमाता हूं। इसका आधा हिस्सा किराए पर खर्च कर देता हूं। मैं इस काम के लिए कैसे मना कर सकता हूं? सारे लोग चले गए। मुझे घर के बाहर रहना पड़ता है। हर बार जब भारी बारिश होती है, तो मैं छाया में रहने के लिए एक छोटी सी जगह बना लेता हूं।”

सोनू ने बताया कि वह और पड़ोस के एक दूसरे घर में काम करने वाले तीन अन्य लोग अब लगभग पूरा दिन सोते ही रहते हैं। उन्होंने कहा, “अब हमारे पास करने के लिए कुछ और नहीं है, इसलिए हम इसी तरह दिन बिताते हैं।” सोनू ने याद किया कि लगभग तीन दिन पहले वे फर्नीचर और दूसरी चीजो को पानी से बचाने के लिए संघर्ष कर रहे थे। ग्राउंड फ्लोर के सभी कमरे अंधेरे हैं। खाने की मेज पर सोफे रखे हैं। घर के निचले बरामदे में अभी भी पानी भरा हुआ है। घर का फर्श अभी भी कीचड़ से भरा है।”

मोनेस्ट्री मार्केट, यमुना बाजार, विजय घाट, कुदसिया घाट और ऐसे अन्य क्षेत्रों में बाढ़ के बारे में चिंताओं को संबोधित करते हुए वर्मा ने कहा कि इसका समाधान ढूंढना होगा, क्योंकि ये सीधे बाढ़ के मैदानों पर हैं। उन्होंने कहा, “मठ बाजार सीधे नदी के किनारे है, जिन घरों और झुग्गियों में नदी का पानी घुसता है, वे सभी अनधिकृत हैं। यमुना ने दिल्ली के यातायात को प्रभावित नहीं किया, न ही यह 2023 की तरह सुप्रीम कोर्ट के आस-पास पहुंची। हमने यह सुनिश्चित किया कि नालों को रेत की बोरियों से भर दिया जाए, ताकि बारिश का पानी आगे न जा सके।”

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