Delhi News: दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच तनातनी और बढ़ गई है। इसी बीच, दिल्ली कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने एक इंटरव्यू में कहा कि पार्टी ने इस साल का दिल्ली विधानसभा चुनाव केवल आम आदमी पार्टी को हराने के लिए लड़ा था, भले ही इस कदम से अप्रत्यक्ष तरीके से भारतीय जनता पार्टी को फायदा हुआ हो।

यूट्यूबर आदेश रावल के साथ इंटरव्यू में देवेंद्र यादव ने कहा, “आप को हराने के लिए केजरीवाल और मनीष सिसोदिया को हराना जरूरी है। हम इसमें कुछ हद तक सफल भी हुए हैं।” यादव ने दावा किया कि विधानसभा चुनाव से पहले सीईसी की मीटिंग के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के साथ पार्टी की आप को हराने की रणनीति पर चर्चा की गई थी। यहां पर फैसला लिया गया था कि कांग्रेस पूरी ताकत से काम करेगी।

इस टिप्पणी को आम आदमी पार्टी के नेता सौरभ भारद्वाज ने बड़ा खुलासा बताया है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस द्वारा जुटाए गए 44 करोड़ रुपये का इस्तेमाल अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए नहीं बल्कि आप को हराने और बीजेपी की मदद करने के लिए किया गया। भारद्वाज ने यह भी दावा किया कि कांग्रेस द्वारा आप के शीर्ष नेताओं के खिलाफ अपने वरिष्ठ नेताओं को मैदान में उतारने का फैसला भी इसी रणनीति का हिस्सा था।

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सिसोदिया और आतिशी ने भी कांग्रेस पर निशाना साधा

दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम सिसोदिया और आप नेता आतिशी ने भी कांग्रेस पर निशाना साधा। सोमवार को एक्स पर एक पोस्ट में, दिल्ली की पूर्व उप-मुख्यमंत्री ने कहा, “कांग्रेस ने जो कुछ भी किया, वह अब तक पर्दे के पीछे दिखाई देता था, लेकिन अब यादव ने खुलकर स्वीकार किया है कि उनकी पार्टी ने चुनाव जीतने के लिए नहीं, बल्कि बीजेपी की मदद के लिए लड़ा था।” आतिशी ने कहा कि बीजेपी और कांग्रेस “ऊपर से लड़ने का दिखावा करती हैं, लेकिन पर्दे के पीछे उनके दोस्ताना संबंध हैं।”

फरवरी में रेखा गुप्ता के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में देवेंद्र यादव बीजेपी नेताओं और आप की बागी नेता स्वाति मालीवाल के साथ मंच पर मौजूद थे। कांग्रेस पर आप का हमला पंजाब पर भी केंद्रित है। आम आदमी पार्टी पंजाब में कांग्रेस को बीजेपी के साथ गठबंधन के रूप में पेश करना चाहती है। ताकि, यह संदेश दिया जा सके कि विपक्षी ताकत के रूप में कांग्रेस पर भरोसा नहीं किया जा सकता है और केवल आप ही राष्ट्रीय स्तर पर बीजेपी का मुकाबला करने में सक्षम है।

कांग्रेस ने दिल्ली में 2015 से एक भी विधानसभा सीट नहीं जीती

दिल्ली में कांग्रेस ने 2015 से एक भी विधानसभा सीट और 2009 से एक भी लोकसभा सीट नहीं जीती है। हालांकि, पंजाब में पार्टी की मौजूदगी काफी अच्छी है और 117 सदस्यीय सदन में उसके 18 विधायक हैं।

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