अरविंद केजरीवाल को अब यह भय सताने लगा है कि जनता के बीच उनकी लोकप्रियता का ग्राफ लगातार गिर रहा है। उसे कंट्रोल करना बेहद जरूरी है। वर्ना पंजाब फतेह मुश्किल हो सकता है। उनकी पार्टी के नेताओं की जुबान जब तब फिसलती रही है। जिसका आगामी चुनाव पर असर पड़ सकता है। सोमवार को इसी का डैमेज कंट्रोल करते हुए केजरीवाल ने अमृतसर के श्री हरमंदिर साहिब परिसर में कार सेवा की। लेकिन प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतीश उपाध्याय ने और राष्ट्रीय मंत्री सरदार आरपी सिंह ने इसे अरविंद केजरीवाल का नाटक करार दिया।

उन्होंने कहा कि आप की ओर से की गई पश्चाताप कारसेवा पंजाब के वोटरों को गुमराह करने का तरीका है। विपक्ष का कहना है यह नाटक बिलकुल वैसा ही था जैसे 2015 के चुनाव से पहले दिल्ली के वोटरों को गुमराह करने के लिए किया गया था। सिंह ने कहा कि अगर केजरीवाल को अपने पार्टी सहयोगी आशीष खेतान को विभिन्न धार्मिक ग्रंथों गीता, बाइबिल, कुरान व गुरु ग्रंथ साहिब से पार्टी के घोषणापत्र की तुलना करने का अफसोस होता तो वे उन्हें पार्टी से निष्कासित करते। उपाध्याय ने कहा कि आशीष खेतान के निष्कासन का फैसला लेने के बजाए केजरीवाल ने पंजाब चुनाव से पहले सिखों को शांत करने के लिए राजनीतिक रास्ता चुना और श्री हरमंदिर साहिब में माफी मांगने पहुंच गए।

उन्होंने कहा कि हम मुख्यमंत्री केजरीवाल से पूछना चाहते हैं कि क्या खेतान ने केवल गुरु ग्रंथ साहिब का अपमान किया था, उन्होंने अन्य धर्म ग्रंथों का अपमान भी तो किया था। क्या मुख्यमंत्री केजरीवाल अब अन्य धर्मों के लोगों से भी माफी मांगेंगे? सरदार आरपी सिंह ने कहा कि यह शर्मिंदगी की बात है कि सस्ती लोकप्रियता के लिए केजरीवाल ने गुरुद्वारे में जाकर पहले से साफ बर्तनों और फर्श की सफाई का नाटक किया। अगर केजरीवाल खुद को गुरु ग्रंथ साहिब को अपमानित करने का दोषी मानते हैं तो उन्हें अपनी सजा खुद तय करने का कोई अधिकार नहीं है। उन्हें श्री अकालतख्त साहिब में पेश होना चाहिए था। सिखों की धार्मिक मान्यतानुसार गुरु ग्रंथ साहिब या गुरु साहिबों के अनादर की सजा देना श्री अकालतख्त साहिब का अधिकार क्षेत्र है।