एशिया की सबसे बड़ी फल और सब्जी मंडी आजादपुर, जो हर दिन लाखों श्रमिकों और व्यापारियों की गतिविधियों का केंद्र बनती है, आज भी पुराने श्रम कानूनों और उपनियमों के तहत चल रही है। जबकि मंडी उपनियम 1980 के तहत श्रमिकों के हितों की रक्षा और उन्हें उचित मेहनताना दिलवाने के लिए कानूनी प्रावधान किए गए थे, लेकिन आज तक इन कानूनों की समीक्षा और अद्यतन नहीं किया गया है।

मंडी कामगार यूनियन के सदस्य हरवीर सिंह ने बताया कि मंडी उपनियम 1980 के तहत, जब किसी व्यापारिक एजंट या कारोबारी को मंडी में व्यापार करने का लाइसेंस दिया जाता है, तो उसे अपने साथ काम करने वाले श्रमिकों का पूरा विवरण मंडी प्रशासन को देना होता है। लेकिन अफसोस की बात यह है कि मंडी प्रशासन के पास न तो इस तरह का कोई लेखा-जोखा है और न ही उपनियम 1980 के तहत श्रमिकों के अधिकारों को लागू किया जा रहा है।

हरवीर सिंह ने बताया कि उन्होंने कई बार मंडी प्रशासन को इस मुद्दे पर पत्र लिखे हैं और बैठकें भी आयोजित की हैं, लेकिन आज तक इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। उन्होंने यह भी कहा कि आज भी पुरानी दरों पर ही श्रमिकों को मेहनताना दिया जा रहा है। श्रमिकों का कहना है कि उपनियम 1980 की समय-समय पर समीक्षा न होने के कारण उन्हें पहचान, बीमा और अन्य कानूनी सुरक्षा से वंचित रहना पड़ रहा है। उनके अधिकारों का लगातार उल्लंघन हो रहा है।

उपनियम 1980 को प्रभावी रूप से लागू किया जाए

यूनियन का कहना है कि उपनियम 1980 को प्रभावी रूप से लागू किया जाना चाहिए ताकि श्रमिकों को उनके अधिकार मिल सकें। हालांकि, इस मुद्दे पर आजादपुर मंडी के सचिव सुधाकर से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने व्यस्तता का हवाला देते हुए इस पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।

कश्मीर एप्पल मर्चेंट एसोसिएशन के महासचिव और थोक व्यापारी विजय टालरा ने भी इस पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि उपनियम 1980 के मुताबिक, तय किया गया था कि हर श्रमिक को 17 किलो की पेटी उठाने के लिए 50 पैसे और 50 किलो की बोरी उठाने के लिए एक रुपए दिए जाएंगे, लेकिन उपनियम लागू नहीं हुए। अब 17 किलो की पेटी 4.80 रुपए व 50 किलो की बोरी उठाने के 8-9 रुपए दे रहे हैं। जो स्पष्ट रूप से श्रमिकों के हितों के खिलाफ है।

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उपनियम 1980 को प्रभावी रूप से लागू किया जाए तो श्रमिकों को और भी बेहतर सुरक्षा और लाभ मिल सकते हैं।विजय टालरा ने यह भी कहा कि एपीएमसी आजादपुर मंडी एसोसिएशन हर दो साल में आपसी समझौते के आधार पर श्रमिकों के मेहनताने की समीक्षा करती है और उसे बढ़ाती है, लेकिन अगर उपनियम 1980 को प्रभावी रूप से लागू किया जाए तो श्रमिकों को और भी बेहतर सुरक्षा और लाभ मिल सकते हैं।