दिल्ली में विधानसभा चुनाव फरवरी के मध्य तक होने की संभावना है। चुनाव आयोग में अधिकृत सूत्रों ने बताया कि 70 सदस्यीय विधानसभा के लिए एक दिवसीय चुनाव की घोषणा इसी सप्ताह की जा सकती है। राष्ट्रीय राजधानी परिक्षेत्र दिल्ली के लिए आज अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित की जाएगी जिससे कभी चुनाव कराने का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा।

संयोग से मुख्य चुनाव आयोग वी एस संपत द्वारा घोषित किया जाने वाला यह अंतिम चुनाव होगा। वह 65 वर्ष की उम्र पूरी करने पर 15 जनवरी को सेवानिवृत हो जाएंगे।

सूत्रों का कहना था कि चुनाव कार्यक्रम इतना दुरुस्त होगा कि फरवरी के दूसरे या तीसरे सप्ताह में चुनाव पूरा हो जाने की उम्मीद है ताकि यह सीबीएसई की परीक्षा समेत वार्षिक परीक्षाओं के रास्ते में रोड़ा नहीं बने जो सामान्यत: मार्च के प्रारंभ में शुरू होती है।

सूत्रों की राय थी कि चूंकि अब फिलहाल चुनाव से गुजरने वाला दिल्ली ही एकमात्र प्रदेश है, ऐसे में केंद्रीय अर्द्धसैनिक बल (सीपीएमएफ) की उपलब्धता की कोई समस्या नहीं होगी। यहां स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव के लिए शायद 100 सीएमपीएफ कंपनियां पर्याप्त हैं। दिल्ली का हिंसा, बूथकैप्चर आदि का इतिहास नहीं रहा है जो पिछले दिनों में अन्य राज्यों में देखा गया है।

यह चुनाव भाजपा के लिए वर्ष 2010 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में मिले खंडित जनादेश के विपरीत स्पष्ट जनादेश हासिल करने का एक मौका होगा। भाजपा ने मई में लोकसभा चुनाव में शानदार सफलता के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कई विधानसभा चुनाव जीते हैं।

वर्ष 2010 के विधानसभा चुनाव में दिल्ली में राजनीतिक क्षितिज पर कदम रखने वाली आम आदमी पार्टी (आप) 28 विधायकों के साथ दूसरे सबसे बड़े दल के रूप उभरी थी। उसने आठ विधायकों वाली कांग्रेस और एक विधायक वाले जनतादल यूनाइटेड (जदयू) के समर्थन से सरकार बनायी लेकिन मुख्यमंत्री केजरीवाल ने 49 दिनों में ही इस्तीफा दे दिया। भाजपा 31 विधायकों के साथ सबसे बड़ी पार्टी थी।

इस बार आप ने सभी 70 सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है जिसके अनुसार केजरीवाल नयी दिल्ली से फिर जोर आजमाइश करेंगे। पिछले विधानसभा चुनाव में बुरी तरह मात खायी कांग्रेस इस बार पहले ही 24 सीटों के लिए उम्मीदवार घोषित कर चुकी है। भाजपा का उम्मीदवारों की सूची जारी करना बाकी है।