दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण ने लोगों के लिए फिर परेशानी खड़ी करनी शुरू कर दी है। हवा की गति कम होने और तापमान कम होने के चलते प्रदूषक तत्त्वों के हवा में जमा होने के कारण राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की वायु गुणवत्ता मंगलवार सुबह “बहुत खराब” श्रेणी में पहुंच गई। इस मौसम में पहली बार हवा की गुणवत्ता इतनी खराब हुई है।
महानगर में सुबह 9:30 बजे वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 304 दर्ज किया, जो ‘बहुत खराब श्रेणी’ में आता है। सोमवार को 24 घंटे का औसत एक्यूआई 261 रहा, जो फरवरी के बाद से सबसे खराब है। यह औसत रविवार को 216 और शनिवार को 221 दर्ज किया गया था। इस बीच दिल्ली सरकार ने प्रदूषण पर सख्ती दिखानी शुरू कर दी है। सरकार ने भलस्वा लैंडफिल पर धूल नियंत्रण नियमों के उल्लंघन को लेकर उत्तरी दिल्ली नगर निगम पर 20 लाख रुपये का जुर्माना लगाने की बात कही है।
यह जानकारी दिल्ली सरकार की तरफ से पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने दी। इससे पहले गोपाल राय ने ट्वीट कर कहा था कि भलस्वा लैंडफिल साइट का “युद्ध, प्रदूषण के विरुद्ध” अभियान के तहत औचक निरीक्षण। निरीक्षण के दौरान लापरवाही पाई गई, DPCC को कानूनी कार्यवाही करने का निर्देश दिया।
मालूम हो कि दिल्ली सरकार ने बड़े पैमाने पर वायु प्रदूषण-विरोधी अभियान ‘युद्ध प्रदूषण के विरुद्ध’ शुरू किया है, जिसका नेतृत्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पर्यावरण मंत्री गोपाल राय कर रहे हैं। सर्दियों में वायु प्रदूषण के उच्च स्तर से निपटने के लिए उठाए जा रहे कदमों की निगरानी के लिए दिल्ली सचिवालय में 10 सदस्यीय विशेषज्ञ टीम के साथ एक “ग्रीन वार रूम” स्थापित किया गया है।
पर्यावरण विभाग ने भी धूल नियंत्रण मानदंडों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है। सरकार मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी में धान के खेतों में “पूस बायो- डीकंपोजर” घोल का छिड़काव भी शुरू किया। इसकी शुरुआत नरेला के गांव से की गई। इन सब के बीच दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि पराली जलाने के कारण होने वाला प्रदूषण सिर्फ अकेले दिल्ली की ही समस्या नहीं है। पूरे उत्तर भारत के लिए यह परेशानी का सबब है।
दुर्भाग्य है कि केंद्र सरकार इस समस्या के हल के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है। सिसोदिया ने कहा कि प्रदूषण और कोरोना दोनों मिलकर लोगों के लिए घातक साबित होंगे। उन्होंने कहा कि मैं केंद्र सरकार से यह कहना चाहूंगा कि उन्हें उत्तर भारत में प्रदूषण के स्तर को कम करने में भूमिका निभानी होगी।