पूर्व प्रधानमंत्री पंडित अटल बिहारी वाजपेयी की पहली पुण्यतिथि पर केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पोखरण जाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। बता दें कि वाजपेयी के कार्यकाल की सबसे बड़ी उपलब्धियों में शुमार परमाणु परीक्षण राजस्थान के पोखरण में ही हुआ था। 1998 की इस घटना को राजनाथ सिंह ने याद किया और इस साहसिक फैसले का जिक्र किया। इसके साथ ही राजनाथ ने परमाणु नीति का जिक्र करते हुए यह भी कहा कि ‘नो फर्स्ट यूज’ हमारा सिद्धांत है, भविष्य में क्या होगा यह परिस्थितियों पर निर्भर करेगा। बता दें कि अटल बिहारी का लंबी बीमारी के बाद 16 अगस्त 2018 को दिल्ली के एम्स में निधन हो गया था।
राजनाथ ने की अटल जी के साहस की तारीफः राजनाथ सिंह ने उस फैसले को याद करते हुए अटल जी के साहस की तारीफ की। जब भारत ने यह परीक्षण किया था तब दुनिया के कई प्रमुख देशों ने इसका विरोध किया था।
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#WATCH: Defence Minister Rajnath Singh says in Pokhran, “Till today, our nuclear policy is ‘No First Use’. What happens in the future depends on the circumstances.” pic.twitter.com/fXKsesHA6A
— ANI (@ANI) August 16, 2019
राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री ने भी दी श्रद्धांजलिः बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री की प्रथम पुण्यतिथि पर देश की राजधानी नई दिल्ली में बने उनके स्मारक ‘सदैव अटल’ पर दिग्गज नेताओं का तांता लगा रहा। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह के अलावा वाजपेयी के परिजनों और अन्य लोगों ने भजन और भक्ति संगीत के बीच अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि दी। सदैव अटल स्मारक पिछले साल 25 दिसंबर पर उनके जन्मदिन पर ही राष्ट्र को समर्पित किया गया था। इसके बीच में काले रंग के ग्रेनाइट पत्थर से वाजपेयी की समाधि बनाई गई है और बीच में एक दीया रखा गया है। हवा से बचाने के लिए इस दीये को थोड़ी ऊंचाई पर ढक दिया गया है।
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ममता बनर्जी ने यूं अटल को याद कियाः अटल सरकार में रेल मंत्री रहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने भी वाजपेयी को श्रद्धांजलि दी। आर्टिकल 370 और कश्मीर पर बड़े फैसलों को लेकर चल रही राष्ट्रव्यापी बहस के बीच ममता ने लोगों से अपील करते हुए ‘इंसानियत, जम्हूरियत और कश्मीरियत’ के उनके सिद्धांतों को ध्यान में रखने को कहा। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, ‘अटल बिहारी के शब्दों को याद करें। उन्होंने कहा था- बंदूक से कोई समस्या हल नहीं हो सकती। मुद्दों को इंसानियत, जम्हूरियत और कश्मीरियत के तीन सिद्धांतों से ही हल किया जा सकता है।’