शंकर जालान

सभी तरह के वाहनों में दो पहिया वाली साइकिल ही एक ऐसा वाहन है, जो पर्यावरण की दृष्टि से बिल्कुल अनुकूल है। साइकिल से न प्रदूषण का खतरा और ना ही डीजल-पेट्रोल की खपत। बावजूद इसके महानगर कोलकाता में ऐसी सड़कों की संख्या तकरीबन डेढ़ सौ है, जहां साइकिल चलाने की या तो चौबीस घंटे की पांबदी है या फिर तय समय पर साइकिल चलाने की अनुमति कोलकाता पुलिस के यातायात विभाग से लेनी पड़ती है। 14-15 साल के दौरान साइकिल आरोहियों को लेकर राज्य के परिवहन विभाग व कोलकाता पुलिस के यातायात विभाग के अड़ियल रवैए की वजह से शहर में साइकिल की रफ्तार साल-दर-साल धीमी पड़ती जा रही है। हालांकि वर्ष 2013 में कलकत्ता साइकिल आरोही अधिकार व जीविका रक्षा कमेटी के आंदोलन, प्रदर्शन और तत्कालीन परिवहन मंत्री समेत कोलकाता पुलिस के उपायुक्त (यातायात) को ज्ञापन देने के बाद 174 में से 62 सड़कों को छोड़कर 112 सड़कों पर साइकिल चलाने की अनुमति दे दी गई थी, लेकिन वर्ष 2014 में यातायात पुलिस ने और नौ सड़कों पर रोक लगाकर साइकिल प्रतिबंधित सड़कों की संख्या बढ़ाकर 71 तक पहुंचा दी। इसके बाद से साल-दर-साल यह दायरा बढ़ता ही गया।

वर्ष 2015 में 96 सड़कें, 2016 में 113 सड़कें, 2017 में 126 सड़कें और 2018 में ऐसी 149 सड़कें चिह्नित की गईं, जिन पर किसी ना किसी रूप में साइकिल चलाने पर पाबंदी है। इससे पहले वर्ष 2005 में दो, 2006 में नौ, 2007 में 22, 2008 में 34, 2009 में 87, 2010 में 112, 2011 में 148 और वर्ष 2012 में 174 सड़क पर साइकिल प्रोबाइड का बोर्ड लगा था।

मजे की बात यह है कि तृणमूल कांग्रेस प्रमुख व राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 2015 में जब से छात्र-छात्राओं को सबुज साथी योजना के तहत मुफ्त में साइकिल देने की शुरुआत की है तब से शहर की और 78 सड़कों को साइकिल प्रतिबंधित सड़कों में शामिल किया गया है। वर्ष नवंबर 2015 से सितंबर 2018 तक राज्य के विभिन्न जिलों में साढ़े 15 लाख साइकिलें मुफ्त बांटकर साइकिल चलाने को बढ़ावा दिया जा रहा है, वहीं महानगर में साइकिल के दायरों को लगातार कम किया जा किया जा रहा है। इस बाबत राज्य के परिवहन मंत्रालय के कहना है कि किस रास्ते पर कौन सा वाहन चलेगा और उसकी गति क्या होगी यह देखना कोलकाता पुलिस के यातायात विभाग का काम है। वहीं कोलकाता पुलिस के यातायात विभाग के अधिकारियों का मत है कि अन्य मोटरचालित वाहनों की तुलना में साइकिल काफी धीमी चलती है, लिहाजा शहर को सड़क हादसों से बचने के लिए शहर की चुनिंदा, प्रमुख व अति व्यस्त सड़कों पर साइकिल पर पाबंदी लगाई गई है।

वहीं, जानकारों का मत है कि पर्यावरण की रक्षा के मद्देनजर कोलकाता पुलिस के यातायात विभाग को साइकिल को बढ़ावा देना चाहिए। इन लोगों की राय है कि जिस तरह सड़कों पर सर्विस रोड होती है ठीक वैसे ही साइकिल-वे बनाना चाहिए, जिससे संभावित सड़क हादसे को भी रोका जा सके और साइकिल चलन को बढ़ावा भी मिल सके।

पर्यावरणविद् सुभाष दत्ता कहते हैं कि एक ओर जहां ममता बनर्जी अपनी महत्त्वाकांक्षी सबूज साथी परियोजना के तहत छात्र-छात्राओं में साइकिल वितरित कर रही है, वहीं दूसरी ओर सूबे की राजधानी कोलकाता की कई सड़कों पर साइकिल की सवारी पर प्रतिबंध है। उनका तर्क है कि साइकिल चलेगी तो ही हरियाली बचेगी।

वहीं, साइकिल के थोक कारोबारी अनूप अग्रवाल ने कहा कि मोटर चालित वाहनों से पर्यावरण दिन-ब-दिन प्रदूषित हो रहा है। साइकिल से पर्यावरण को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचता, इसलिए इसको बढ़ावा दिया जाना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। उनका कहना है कि साइकिल को धीमी सवारी बताकर इससे ट्रैफिक जाम होने का हवाला देते हुए प्रतिबंध लगाया गया है, जो शायद ठीक नहीं है। उन्होंने बताया कि बीते चार साल में साइकिल की बिक्री गिर आधी हो गई है। वर्ष 2015 में शहर में एक लाख 80 हजार और ग्रामीण इलाकों में तीन लाख 60 हजार साइकिल की बिक्री हुई थी, जो वर्ष 2018 में घटकर एक लाख (शहर) और एक लाख 77 हजार (ग्रामीण) रह गई।