केंद्रीय सचिवालय सेवा (सीएसएस) के कर्मचारियों ने प्रमोशन नहीं होने के विरोध में बुधवार 4 मई से अनोखा विरोध शुरू करने का फैसला किया है। कर्मचारियों ने सचिव, कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) को पत्र लिखकर अपने आंदोलन की रूपरेखा बताई है। इसमें कहा गया है कि सीएसएस अधिकारी अब हमारे सीसीए यानी सीएस-I डिवीजन डीओपी एंड टी के धीमे और ढीले रवैये का पालन करेंगे और नोडल विभाग के पुराने, धीमे, प्रक्रियात्मक कार्यप्रणाली का पालन करेंगे।
उनका कहना है कि प्रमोशन में देरी से उन्हें भारी वित्तीय नुकसान हो रहा है। पदोन्नति कर्मचारी भी शाम 5.30 बजे के बाद काम करने से मना कर देंगे। सीएसएस अधिकारी “निराशा के संकेत के रूप में” हर हफ्ते एक दिन काला कपड़ा पहनेंगे। फोरम ने कहा है कि अगर प्रोन्नति में आरक्षण से संबंधित मामले 15 मई तक हल नहीं होते हैं, तो यह “असहयोग आंदोलन” 20 मई, 2022 से पूरे केंद्रीय सचिवालय में “अनिश्चितकालीन कलमबंद हड़ताल” में समाप्त हो जाएगा।
हालांकि, यह माननीय राज्य मंत्री और माननीय प्रधानमंत्री के नेतृत्व में उस सोच के खिलाफ हो सकता है, जो हमें प्रशासनिक व्यवस्था में सुधार के लिए हमेशा अलग सोच और नवीन विचारों के लिए प्रेरित करते हैं।
पिछले छह साल से अधिक समय से कर्मचारियों की पदोन्नति में देरी को लेकर केंद्रीय सचिवालय सेवा के एक हजार से अधिक स्टाफ सदस्यों ने पिछली फरवरी को नॉर्थ ब्लॉक के अंदर विरोध प्रदर्शन किया था। प्रदर्शनकारियों ने MoS (कार्मिक) जितेंद्र सिंह से मिलने पर जोर दिया, जो कार्यालय में नहीं होने से नहीं मिल सके थे।
सूत्रों ने कहा कि यह मुद्दा वर्षों से लंबित है और मुकदमेबाजी के कारण इसमें और देरी हो गई। सीएसएस फोरम के मीडिया सलाहकार गोमेश कुमावत ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट में लंबित मुकदमों का हवाला देते हुए पिछले छह वर्षों से केंद्रीय सचिवालय के कैडर में नियमित पदोन्नति रोक दी गई है। हालांकि, केंद्र सरकार के अन्य सभी संवर्गों में पदोन्नति मामलों में दायर मामलों के अंतिम निर्णय की शर्तों के साथ पूरे जोरों पर हो रही है।”
कुमावत के अनुसार, कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) द्वारा डीओपीटी और मंत्री के उच्चतम अधिकारियों के साथ नियमित अनुनय के बावजूद सीएसएस संवर्गों की वैध मांगों जैसे कि संगठित समूह ‘ए’ सेवा का लाभ देना, अनुभाग अधिकारी लिमिटेड विभागीय परीक्षा आयोजित करना, संवर्ग में नौ साल की सेवा से पहले प्रतिनियुक्ति पर कार्यवाही करना आदि पर भी विचार नहीं किया गया है।
