Tripura : अगले साल की शुरुआत में होने वाले त्रिपुरा (Tripura) विधानसभा चुनाव से पहले सभी राजनीतिक दलों ने कमर कसर ली है। चुनाव से पहले सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) के लिए मुश्किलें खड़ी होती दिख रही हैं। कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) (CPM) के आगामी राज्य विधानसभा चुनाव में कांग्रेस (Congress) के साथ गठबंधन करने की संभावना है। कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) (CPM) ने दो दशक से अधिक समय तक राज्य पर शासन किया है। ऐसे में यह भाजपा (BJP) के लिए मुश्किल की स्थिति हो सकती है। कांग्रेस के साथ संभावित गठबंधन सहित रणनीति पर चर्चा के लिए नई दिल्ली में सीपीएम के पदाधिकारियों की एक की बैठक चल रही है।
चल रही है चर्चा
सीपीएम के शीर्ष सूत्रों के हवाले से खबर है कि कम्युनिस्ट पार्टी सत्तारूढ़ बीजेपी के खिलाफ अपनी संख्या बढ़ाने के लिए कांग्रेस के साथ गठबंधन का विकल्प चुन सकती है। सूत्रों ने बताया कि अब तक कांग्रेस नेतृत्व से इस गठबंधन को लेकर कोई बातचीत नहीं हुई है। सीपीएम द्वारा गठबंधन पर अंतिम निर्णय लेने के बाद, वह कांग्रेस के साथ बातचीत करेगी और चुनाव से पहले त्रिपुरा में सीटों के बंटवारे पर चर्चा करेगी, जो एक खुला गठबंधन या सामरिक गठबंधन हो सकता है।
2018 में BJP ने की थी जीत हासिल
बीजेपी-इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) गठबंधन ने 2018 के त्रिपुरा विधानसभा चुनावों में 60 सदस्यीय सदन में दो-तिहाई बहुमत से जीत हासिल की थी, जिससे पूर्वोत्तर राज्य में 25 साल के वाम शासन का अंत हो गया था। भाजपा-आईपीएफटी गठबंधन ने 2018 में 43 सीटें जीतीं थी। भाजपा को 35 सीटें और आईपीएफटी को 8 सीटें मिलीं थी।
फिलहाल विधानसभा में कमुनिस्ट पार्टी के 15 विधायक हैं। जून में हुए उपचुनाव में कांग्रेस को एक सीट पर जीत मिली थी। सीपीएम बीजेपी पर अपने कार्यकर्ताओं के खिलाफ हिंसा का आरोप लगाती रही है, जबकि बीजेपी हमेशा वामपंथी शासन के तहत हिंसा की पिछली घटनाओं को उछालती रही है।