लॉकडाउन की वजह से रोजगार न होने की वजह से प्रवासी मजदूर अपने-अपने घर जाने के लिए मजबूर थे। लेकिन अब हरियाणा में उद्योगों के खुलने से  लगभग 65,000 प्रवासी कामगारों ने अपने मूल राज्यों में लौटने से इनकार कर दिया है। हरियाणा सीआईडी प्रमुख अनिल कुमार राव ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया “कम से कम 50-60 प्रतिशत प्रवासी, जिन्होंने पहले अपने मूल राज्यों में लौटने के लिए खुद को पंजीकृत किया था, रेलवे स्टेशनों पर नहीं जा रहे हैं। यात्रियों कमी के चलते कम से काम ग्यारह श्रमिक स्पेशल ट्रेनें रद्द करनी पड़ी है।” राव संबंधित राज्यों के अधिकारियों के साथ समन्वय करते हुए प्रवासी श्रमिकों पर निगरानी रखते हैं।

राव ने आगे कहा “शुरुआत में 2,000 लोग रेलवे स्टेशनों तक पहुंचते थे, जबकि हम केवल 1,600 कॉल करते थे। लेकिन अब जब हम 1,600 कॉल करते हैं, तो केवल 600-700 अपने मूल राज्यों में लौटने के लिए आ रहे हैं।” अधिकारी के अनुसार, हरियाणा सरकार ने पहले 1,600 प्रवासियों की क्षमता वाली उड़ीसा के लिए एक विशेष ट्रेन की योजना बनाई थी। राव ने कहा “शुक्रवार को मुझे उड़ीसा के एक वरिष्ठ अधिकारी से एसएमएस मिला कि केवल 300 मजदूर ही वापस जाने के इच्छुक हैं। अब उड़ीसा में अधिकारियों के साथ चर्चा कर उन्हें बिहार में एक स्थान पर भेजेंगे।”

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अधिकारियों का मानना​है कि औद्योगिक गतिविधियों के अलावा, प्रवासी मजदूरों ने आगामी धान बुवाई के मौसम के कारण यहीं रहने का फैसला किया होगा। हरियाणा सरकार ने विभिन्न रेलवे स्टेशनों से अपने मूल राज्य जाने के लिए इच्छुक प्रवासियों के लिए दैनिक आधार पर श्रमिक स्पेशल ट्रेनों की व्यवस्था की है। आधिकारिक दस्तावेजों में, इन प्रवासी श्रमिकों को ‘अतिथि श्रमिक’ के रूप में संबोधित किया जाता है।

राव के अनुसार, पहले ही 96 ट्रेनों और 5,200 बसों में हरियाणा से 3.25 लाख श्रमिकों को उनके मूल राज्यों में भेजा जा चुका है। अधिकतम 72 ट्रेनें बिहार के लिए चलीं और 17 मध्य प्रदेश के लिए। जबकि उत्तर प्रदेश के अधिकांश फंसे प्रवासियों को बसों के माध्यम से घर भेजा गया। हरियाणा के अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने उन श्रमिकों के घर जाने के लिए व्यवस्था की है। ज़्यादातर मजदूर पड़ोसी राज्य पंजाब, हिमाचल प्रदेश और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ से आए थे। ये वे प्रवासी थे जो पैदल चलकर अपने राज्यों में जा रहे थे।