रूपसा चक्रवर्ती

Children Lost Parents In Pandemic: पिछले साल अप्रैल में महाराष्ट्र (Maharashtra) के अहमदनगर (Ahmednagar) में दिहाड़ी मजदूर (Daily-Wage Labourer) नागेश विश्वास उंडे (Nagesh Vishwas Unde) की कोविड-19 से मौत हो गई थी। परिवार के एकमात्र कमाने वाले सदस्य के चले जाने से उंडे की पत्नी को बच्चों की स्कूल और कॉलेज में पढ़ाई जारी रखने के लिए खेतिहर मजदूर (Farm Labourer) के रूप में काम करने के लिए मजबूर होना पड़ा। उंडे के बेटे रोहन कहते हैं, “मैं बीकॉम के दूसरे वर्ष में हूं और 16 वर्षीय मेरी बहन 10 वीं कक्षा में है। मेरे पिता पढ़ नहीं सकते थे, लेकिन वह चाहते थे कि हम अपनी शिक्षा (Education) पूरी करें। उनकी मौत के बाद मेरी मां को काम खोजने के लिए मजबूर होना पड़ा।”

महामारी (Pandemic) के दो साल बाद, जब देश भर में कोविड का असर खत्म हो गया, महाराष्ट्र में महिला एवं बाल विकास (Women and Child Development – WCD) विभाग के डेटा से पता चला है कि राज्य में हर दस बच्चा जिसने अपनी मां को नोवल कोरोनोवायरस संक्रमण (Novel Coronavirus Infection) से खो दिया, उनमें से नौ के पिता की मौत हो गई।

मार्च 2020 में महामारी की शुरुआत के बाद से, राज्य में 28,938 बच्चों ने अपने माता-पिता में से किसी एक को संक्रमण (Infection) के कारण खो दिया – मरने वालों में 2,919 माताएं और 25,883 पिता थे। 136 मामलों में, एक ही परिवार के एक से अधिक बच्चों ने अपने माता-पिता में से किसी एक को खो दिया। मार्च 2020 और अक्टूबर 2021 के बीच, महाराष्ट्र में 1,39,007 कोविड से मौतें दर्ज की गईं। इनमें 92,212 पुरुष (66.3%) और 46,779 महिलाएं (33.6%) हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय (Union Ministry Of Health) के अनुसार, महाराष्ट्र में अब तक कोविड से हुई मौतों की संख्या 1,48,404 है, जो किसी भी राज्य से सबसे अधिक है, इसके बाद केरल में 71,477 मौतें हुई हैं।

डॉ. राहुल पंडित (Dr. Rahul Pandit), वरिष्ठ गहन देखभाल सलाहकार (Senior Intensive Care Consultant), फोर्टिस अस्पताल (Fortis Hospital) ने कहा, “दुनिया भर से रिपोर्ट किए गए महामारी विज्ञान के निष्कर्षों ने महिलाओं की तुलना में कोविड की वजह से पुरुषों में बीमार होने की ज्यादा आशंका और मृत्यु दर (Morbidity And Mortality) का संकेत दिया। इसके लिए कई कारक जिम्मेदार हैं – जीवन शैली और इम्यूनोलॉजिकल अंतर (Lifestyle And Immunological Differences), और कोविड प्रोटोकॉल का अनुपालन (Compliance Of Covid Protocols)।”

कई परिवारों के सामने जीविका का संकट खड़ा हो गया

लिंग के आधार पर मृत्यु दर में इस भारी अंतर से पता चलता है कि महामारी ने इनमें से कई परिवारों को वित्तीय अस्थिरता में धकेल दिया होगा – विशेष रूप से वे जिनमें पुरुष एकमात्र कमाने वाले थे। उंडे का कहना है कि छह महीने के संघर्ष के बाद, परिवार को 50,000 रुपये की कोविड अनुग्रह राशि मिली, जिससे उन्हें अपने स्कूल और कॉलेज की फीस भरने में मदद मिली है। रोहन ने कहा, “मुझे नहीं पता कि हम अगले साल अपनी फीस कैसे भरेंगे।”

दस्तावेज नहीं होने से पति की उत्तराधिकारी साबित करने में दिक्कत

विभाग के अधिकारियों का कहना है कि कोविड से विधवा हुईं कई महिलाओं के लिए सबसे बड़ी समस्या उनके पास वे दस्तावेज नहीं होना था, जिनसे वे यह साबित करतीं कि पति की संपत्ति की वह कानूनी उत्तराधिकारी हैं। राज्य राहत और पुनर्वास विभाग के एक अधिकारी, जिनके पास सरकार द्वारा कोविड पीड़ितों के परिजनों को अनुग्रह राशि के रूप में घोषित किए गए 50,000 रुपये को बांटने की जिम्मेदारी है, ने कहा, “हमें ऐसे कई डुप्लीकेट आवेदन मिले हैं जिनमें मृतक की पत्नी और उसके माता-पिता दोनों ने अनुग्रह राशि का दावा किया है।”