कोरोना वायरस संकट के बीच सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (9 जून, 2020) को केंद्र और राज्य सरकारों को आदेश दिया कि वे प्रवासी मजदूरों को 15 दिनों के भीतर उनके गृह राज्य पहुंचाएं। साथ ही इन सभी के खिलाफ दर्ज लॉकडाउन नियम उल्लंघन के सारे मामले Disaster Management Act, 2005 के तहत वापस लिए जाएं। बकौल सुप्रीम कोर्ट, ‘केंद्र और राज्य इसके लिए व्यवस्थित ढंग से लिस्ट तैयार कर प्रवासी मजदूरों की सूची तैयार करें। इनके पुनर्वास के लिए इनकी कौशल क्षमता का आकलन करने के बाद रोजगार की योजनाएं तैयार की जाएं।’
न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने लॉकडाउन के दौरान पलायन कर रहे कामगारों की दयनीय स्थिति का स्वत: संज्ञान लिए गए मामले में वीडियो कॉन्फेंसिंग के जरिए अपने फैसले में विस्तृत निर्देश दिए। पीठ ने केन्द्र को निर्देश दिया कि इन श्रमिकों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिए अतिरिक्त रेलगाड़ियों की मांग किये जाने पर 24 घंटे के भीतर राज्यों को ट्रेनें उपलब्ध कराई जाएं।
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न्यायालय ने लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन करने के आरोपों में इन कामगारों के खिलाफ आपदा प्रबंधन कानून के तहत दर्ज शिकायतें वापस लेने पर विचार करने का भी संबंधित प्राधिकारियों को निर्देश दिया। पीठ ने प्राधिकारियों को उन कामगारों की पहचान करने का निर्देश दिया जो अपने पैतृक स्थान लौटना चाहते हैं और उन्हें भेजने सहित सारी कवायद मंगलवार से 15 दिन के भीतर पूरी की जाए।
पीठ ने इस मामले को जुलाई में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करते हुये कहा कि इन कामगारों के कल्याण और रोजगार की योजनाओं का समुचित प्रचार प्रसार किया जाना चाहिए। शीर्ष अदालत ने कोरोना वायरस महामारी के कारण देश में लागू लॉगडाउन के दौरान अपने अपने पैतृक स्थानों की ओर जा रहे कामगारों की दुर्दशा का स्वत: संज्ञान लिया था। न्यायालय ने मामले में पांच जून को केन्द्र और राज्य सरकारों का पक्ष सुनने के बाद कहा था कि इस पर नौ जून को आदेश सुनाया जाएगा। (एजेंसी इनपुट)