भारत में कोरोना वायरस महामारी तेजी से फैल रही है। सरकार के साथ अधिकारी भी संक्रमण को रोकने के लिए दिन रात जुटे हैं। उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में एक ऐसा ही मामला सामने आया है जहां एसडीएम ने डिलिवरी के 15वें दिन ऑफिस ज्वाइन कर लिया ताकि कोविड-19 को रोकने की दिशा में काम कर सकें। दरअसल मोदीनगर की एसडीएम सौम्या पांडे (26) सात महीने की गर्भवती थी जब जुलाई में उन्हें कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई के लिए गाजियाबाद जिले का नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया।
जिले में जब हर दिन लगभग कोविड-19 के 100 मामलों की पुष्टि हो रही थी तब उनके पास मैटरनिटी लीव लेने का विकल्प था। मगर उन्होंने इसके बजाय अपने क्षेत्र में लगातार दौरे जारी रखे और कोविड से संबंधित जिला योजनाओं के कार्यान्वयन को जारी रखा। अधिकारी सौम्या पांडे ने 17 सितंबर को मेरठ के एक हॉस्पिटल में एक बेबी गर्ल को जन्म दिया और 14 दिन बाद एक अक्टूबर को बेटी को लेकर ऑफिस ज्वाइन करने पहुंच गईं।
उन्होंने बताया, ‘डॉक्टर, नर्स और बहुत सारे लोग कोविड-19 की वजह से अथक परिश्रम कर रहे हैं। ऐसे में मैं अपना कर्तव्य नहीं छोड़ सकती थी। मैंने सिर्फ 22 दिन की जरुरी छुट्टी ली और डिलिवरी के दो सप्ताह के बाद ऑफिस ज्वाइन कर लिया।’
बता दें कि सौम्या पांडे ने इलाहाबाद में एनआईटी से इंजीनिरिंग के बाद साल 2016 में यूपीएससी परीक्षा में पूरे भारत में चौथी रैंक हासिल की थी। वो LBSNAA सिविल सेवा प्रशिक्षण अकादमी में स्वर्ण पदक विजेता भी हैं। अक्टूबर 2019 में उन्हें गाजियाबाद में संयुक्त मजिस्ट्रेट का प्रभार दिया गया। सौम्या पांडे कोविड-19 विभाग संभालने से पहले इसे रोकने के उपाय लागू करने और प्रवासी मजदूरों से जुड़े कार्यक्रमों का भी हिस्सा थीं।
उन्होंने कहा कि नोडल अधिकारी होने के नाते मुझे प्रशासन और चिकित्सा विभाग के बीच काम करना सुव्यवस्थित करना था। मैंने कोरोना हॉस्पिटलों का दौरा किया, डॉक्टरों और मरीजों से बातचीत की और इसके अनुसार डेटा इकट्ठा किया। इसके बाद डीएम और सभी दूसरे अधिकारियों ने कोविड हेल्पलाइन शुरू की ताकि इससे संबंधित सूचनाओं के लिए मदद मिल सके। उन्होंने कहा कि मैंने हर वक्त और खासतौर पर हॉस्पिटलों के दौरे पर फेस शील्ड, मास्क, दस्ताने पहने रखे। उम्मीद है कि ये सावधानियां पर्याप्त रही होंगी।