ऐसे में दिल्ली नगर निगम का बजट कई मायनों में अहम साबित होने वाला है। क्योंकि 10 साल बाद एकीकृत निगम का बजट बिना आयुक्त के सदन में पढ़ने और बिना पार्षदों के सदन में चर्चा के पास होने वाला है। कयास है कि अब विशेष अधिकारी आयुक्त के बजट को स्वीकृति प्रदान कर उप राज्यपाल के पास अंतिम मंजूरी के लिए भेज देंगे। परिसीमन के बाद नए स्वरूप में आए दिल्ली नगर निगम में महापौर का चुनाव पहेली बना हुआ है।

हंगामे के कारण सदन की बैठक तीन-तीन बार स्थगित होने के बाद जिस प्रकार आदर्श व्यवस्था से अलग सुप्रीम अदालत में मामले को ले जाना पड़ा उससे सबसे ज्यादा प्रभाव बजट पर पड़ने वाला है। आगामी वित्त वर्ष के मद्देनजर दिसंबर में निगम आयुक्त के पेश बजट को विशेष अधिकारी अश्विनी कुमार स्वीकृति प्रदान करने वाले हैं।

दिल्ली निगम एक्ट (म्युनिसिपल एक्ट 1957) के तहत नए वित्त वर्ष के लिए निगम बजट को 15 फरवरी तक मंजूरी मिलने का प्रावधान है, लेकिन सुप्रीम अदालत में हुई बहस के बाद यह तय हो गया कि अब 17 फरवरी तक महापौर का चुनाव नहीं होने वाला है।

‘भाजपा और आप की जंग में लटका महापौर चुनाव

नई दिल्ली: दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अनिल कुमार ने कहा कि भाजपा और आम आदमी पार्टी की प्रतिरोधी गतिविधियों के कारण इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा है कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया से हुए चुनावों के दो महीनों बाद भी महापौर का चुनाव नहीं हो सका है।16 फरवरी को महापौर चुनाव के लिए चौथा प्रयास होना था, वह भी ‘आप’ द्वारा अपील याचिका की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टलने के कारण नही होगा। सात दिसंबर को निगम चुनाव का परिणाम आने के बाद ‘आप’ को 134 सीटें मिली, फिर क्यों वह घबराई हुई है।