Coronavirus in India: जलगांव स्थित एक डॉक्टर को तेज बुखार और सांस की तकलीफ के बावजूद चार निजी अस्पतालों ने उनका इलाज़ करने से माना कर दिया। अस्पतालों ने उन्हें कोरोना वायरस के शक में भर्ती करने से माना कर दिया और परिवार से इस बात की मंजूरी देने की मांग की कि मरीज कोरोनावायरस से पीड़ित नहीं है। कई घंटों के बाद, डॉक्टर को अंततः जलगांव के सरकारी मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया। हालांकि, देरी के कारण उनकी हालत बिगड़ गई और वह अब वेंटिलेटर पर है।

जिला स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा कि COVID-19 से घबराहट और जानकारी के अभाव ने निजी अस्पतालों और डॉक्टरों में भी भय पैदा कर दिया है। जिसके चलते कोरोनोवायरस जैसे लक्षणों वाले रोगियों को डॉक्टरों दूर कर रहे हैं। जलगांव स्थित इस डॉक्टर का न तो विदेश यात्रा का कोई इतिहास है, न ही वह किसी ऐसे मरीज के संपर्क में आए हैं जो कोरोनावायरस से संक्रमित हो।

डॉक्टर पिछले सप्ताह कोल्हापुर से अपने गृहनगर भुसावल लौटे थे जिसके बाद उन्हें बुखार महसूस हुआ। बुधवार की रात उन्हें तेज बुखार और सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। जिसके बाद उनके परिवार ने उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने की कोशिश में पूरी रात बिताई।

डॉक्टर के चाचा ने कहा “हम पहले उसे अपने सामान्य चिकित्सक के पास ले गए, जो वहां नहीं था। वहां से हम एक इंटेंसिव केयर अस्पताल में गए, लेकिन वहां के डॉक्टरों ने कहा कि हो सकता है कि उन्हें कोरोनोवायरस हो और यह अस्पताल में फैला सकता है।” डॉक्टरों द्वारा माना करने के बाद परिवार के लोग उन्हें तीन और अस्पतालों में ले गए।

चाचा ने आगे बताया “हर अस्पताल ने उन्हें भर्ती करने से इनकार कर दिया। अस्पतालों ने कहा कि अगर उन्हें कोरोनावायरस हुआ तो क्या होगा। हमने उन्हें बताया कि उन्होंने विदेश यात्रा नहीं की है, लेकिन किसी ने नहीं सुनी। हमने पूरी रात एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल चक्कर काटे।”

गुरुवार को सुबह 7 बजे बुखार से ताप रहे डॉक्टर को सरकारी मेडिकल कॉलेज लाया गया जहां उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया है। डॉक्टरों ने परिवार को उसे कहीं और स्थानांतरित करने के लिए कहा क्योंकि उनके पास अस्पताल में क्रिटिकल केयर सपोर्ट नहीं हैं। सामाजिक कार्यकर्ता प्रतिभा शिंदे ने कहा “जब हमने जिला कलेक्टर से संपर्क किया। उन्होंने जीएमसी अस्पताल को इलाज़ जारी रखने को कहा है।”