Taj Mahal Name Change Controversy: आगरा के पार्षद शोभाराम राठौर ने इस बात का दावा किया कि मैंने ‘ताज महल’ का नाम ‘तेजो महालय’ रखने का प्रस्ताव दिया है। शोभाराम ने इसके पीछे की वजह बताते हुए कहा, क्योंकि इसमें एक ‘शिवलिंग’ था, जिसे मुगलों ने हटा दिया था और मुमताज बेगम के लिए एक मकबरे में बदल दिया गया था। ताजमहल के प्रतीकों में ‘ओम’ के चित्र अभी भी मौजूद हैं। शोभाराम ने ये भी कहा कि ये प्रस्ताव जरूर पारित होगा। अब ताजमहल के नए नाम को लेकर आगरा नगर निगम सदन के अधिकारों पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
यहां मुद्दा ये है कि जब नगर निगम के पास नाम बदलने का अधिकार ही नहीं है तो फिर ये दावा नगर निगम कैसे कर सकता है? आगरा के महापौर नवीन जैन ये बात पहले ही साफ कर चुके हैं कि आगरा नगर निगम के पास ताजमहल का नाम बदलने की अथॉरिटी नहीं है। अगर उनका ये प्रस्ताव किसी तरह से पास भी हो जाता है तो सदन की भावनाओं के बारे में जानकारी देने के लिए इस प्रस्ताव को केंद्र के पास भेज दिया जाएगा।
पार्षदों ने सदन में नारेबाजी करते हुए दिया था धरना
आपको बता दें कि इसके पहले ताजमहल का नाम बदलकर तेजो महालय करने के मामले में बुधवार (31 अगस्त) को आगरा नगर निगम सदन में प्रस्ताव पास नहीं हो पाया था। वहीं इसी दौरान सदन में स्तूप बनाने के प्रस्ताव को लेकर पार्षदों के बीच कहा-सुनी हुई। इस दौरान पार्षदों ने अभद्रता दिखाई और सभापति के सामने नारेबाजी करते हुए धरना भी दिया था। सभापति एवं महापौर नवीन जैन को पार्षदों की इन हरकतों की वजह से सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करना पड़ा।
ये सस्ती लोकप्रियता का तरीका
कांग्रेस पार्षद शिरोमणि सिंह ने इसे सस्ती लोकप्रियता का हथकंडा बताते हुए कहा कि चुनाव आने वाले हैं। इसी वजह से ऐसे नेता सस्ती लोकप्रियता के लिए इस तरह की बयानबाजी किया करते हैं। वहीं इस मामले के बारे सिविल सोसाइटी संस्था के सेक्रेटरी अनिल शर्मा ने बताया, ‘इन लोगों को कोई जानकारी नहीं है जिस वजह से ये आपस में बहस किया करते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने साल 2000 में एक जनहित याचिका को खारिज करते हुए बताया था कि हर आदमी इतिहासकार नहीं बन सकता है। यही बात हाई कोर्ट ने भी कही थी।’ महेश शर्मा केंद्रीय पर्यटन मंत्री रहते हुए इस सवाल का जवाब लोकसभा में भी दिया था कि ताजमहल के हिंदू मंदिर होने के दावे से जुड़ा कोई सबूत नहीं मिला है।