बिहार में सीट बंटवारे को लेकर एनडीए की ही तरह महागठबंधन में भी बड़ी लड़ाई चल रही है। महागठबंधन में सीटों को लेकर सबसे ज्यादा किचकिच कांग्रेस को लेकर है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कांग्रेस जितनी सीटें मांग रही है, आरजेडी उसे उतनी सीटें नहीं देना चाहती। इसकी एक वजह पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के द्वारा किए गए खराब प्रदर्शन को माना जा रहा है।

कांग्रेस ने 2020 के विधानसभा चुनाव में 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था और उसे सिर्फ 19 सीटों पर ही जीत मिली थी।

बहरहाल, बिहार से आ रही मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आरजेडी ने कांग्रेस को 54 सीटों का ऑफर दिया है लेकिन बिहार प्रदेश कांग्रेस की ओर से आरजेडी को 75 सीटों की सूची भेजी गयी है।

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इन दो दलों को भी देनी हैं सीटें

महागठबंधन की अगुवाई कर रही आरजेडी के सामने एक बड़ी मुश्किल यह भी है कि इस बार महागठबंधन में दो और राजनीतिक दल शामिल हो गए हैं। इन दलों के नाम झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (रालोजपा) शामिल है। झामुमो के प्रमुख हेमंत सोरेन जबकि रालोजपा के अध्यक्ष पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस हैं।

बिहार के महागठबंधन में मुख्य रूप से छह दल शामिल हैं। इन दलों में आरजेडी, कांग्रेस, सीपीआई, सीपीएम, सीपीआई (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन और वीआईपी हैं। अब इसमें झामुमो और रालोजपा के भी शामिल होने से महागठबंधन में निश्चित रूप से सीटों का बंटवारा करना आसान नहीं है।

पिछले चुनावों में कैसा रहा था कांग्रेस का प्रदर्शन?

अगर पिछले कुछ चुनाव नतीजों की बात करें तो 2010 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सभी 243 सीटों पर अकेले ही चुनाव लड़ी थी लेकिन वह सिर्फ चार सीटों पर जीती थी। 2015 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को महागठबंधन में रहते हुए 42 सीटों पर चुनाव लड़ने का मौका मिला था और उसे 27 सीटों पर जीत मिली थी। उस वक्त जेडीयू भी महागठबंधन का हिस्सा थी।

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राहुल गांधी ने निकाली थी वोटर अधिकार यात्रा

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने बिहार के 25 जिलों में वोटर अधिकार यात्रा निकाली थी और इसके जरिए उन्होंने कांग्रेस की जड़ों को बिहार में मजबूत करने की कोशिश की थी।

कुछ दिन पहले जब राहुल गांधी पटना आए थे तो उन्होंने पार्टी नेताओं से कहा था कि टिकट वितरण में कार्यकर्ताओं का पूरा ख्याल रखा जाएगा। ऐसे में कांग्रेस पूरी ताकत लगाएगी कि उसे पिछली बार की तरह ही कम से कम 70 सीटों पर लड़ने का मौका मिले। लेकिन कांग्रेस के द्वारा पुरजोर दावेदारी किए जाने के बाद भी यह माना जा रहा है कि आरजेडी उसे अधिकतम 50 से 55 सीटें दे सकती है।

चूंकि बिहार में चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है और पहले चरण के लिए जल्द ही नामांकन शुरू होंगे, ऐसे में माना जा रहा है कि आरजेडी और कांग्रेस अपने हठ को छोड़ते हुए जल्द ही सीट शेयरिंग के बारे में ऐलान कर देंगे।

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