शीतकालीन सत्र में तीन तलाक को खत्म कराने के लिए जद्दोजहद कर रही मोदी सरकार ने गुरुवार को एक बार फिर ‘मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक-2018’ लोकसभा में पेश किया गया। लोकसभा में इस पर चर्चा भी हुई। लेकिन कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने तीन राज्यों में भाजपा की हार के बहाने तीन तलाक को लेकर भारतीय जनता पार्टी पर तंज कस दिया है। हालांकि सरकार और विपक्ष के बीच इस विधेयक पर चर्चा के लिए पहले ही सहमति बन चुकी है।
सिब्बल ने यूं कसा तंज
सिब्बल ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भाजपा की हार के बहाने बयान देते हुए कहा, ‘जब जनता ने ही उन्हें तीन तलाक बोल दिया तो फिर इस पर चर्चा से क्या फायदा। जब जनता ने आपको तलाक, तलाक, तलाक कह दिया है तो इस चीज पर कोई फायदा नहीं है। मैं तो केवल इसको राजनीति से जोड़ रहा हूं कि जब जनता तलाक दे देती है तो इस तरीके के मुद्दों पर चर्चा कराने का कोई फायदा नहीं है।’
तीन तलाक की टाइमलाइन…
– 2016 में तीन तलाक पीड़ित पांच महिलाओं ने 2016 में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
– महिलाओं की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने पांच सदस्यीय विशेष पीठ का गठन किया और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड समेत सभी पक्षों से राय मांगी।
– केंद्र सरकार ने लैंगिक समानता और धर्मनिरपेक्षता के आधार पर शीर्ष अदालत में तीन तलाक का विरोध किया।
– मई 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने इस व्यवस्था को निकाह खत्म करने का सबसे ‘घटिया’ और ‘अवांछित’ तरीका है।
– अगस्त 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए तीन तलाक को असंवैधानिक और कुरान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ बताया। पांच जजों की पीठ में से तीन इस फैसले के पक्ष में थे, जबकि दो खिलाफ थे।
– सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद केंद्र सरकार ने मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक तैयार किया।
– दिसंबर 2017 में यह लोकसभा से पारित हो गया, लेकिन राज्यसभा में अटक गया।
– सितंबर 2018 में सरकार तीन तलाक को प्रतिबंधित करने के लिए अध्यादेश लाई। इसके तहत तीन तलाक को अपराध घोषित करते हुए ऐसा करने वालों को तीन साल तक की जेल और जुर्माना की सजा देने का प्रावधान बनाया।
