जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने और राज्य को दो हिस्सों में बांटे जाने के बाद घाटी के पहले दौरे पर पहुंचे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने वहां की स्थिति पर निराशा जताई। कहा कि घाटी में प्रशासन का भारी आतंक है। वहां से लोकतंत्र का सफाया हो गया है। स्थानीय लोगों में निराशा है। कोई खुश नहीं है।

घाटी में प्रशासन का जबर्दस्त आतंक : गुलाम नबी आजाद ने आरोप लगाया कि दुनिया में कहीं भी प्रशासन का इतना आतंक नहीं देखा, जैसा कि इस वक्त घाटी में है। राज्य का दर्जा बदले जाने के बाद से राज्य में कहीं भी लोकतंत्र नहीं है। यह राज्य से गायब हो गया है। लोगों में बेचैनी है। लोग तड़प रहे हैंं और पुरानी स्थिति बहाल करने की मांग कर रहे हैं।

लोगों के पास जाने और मिलने से रोका : श्रीनगर में बुधवार को कांग्रेसी नेता ने आरोप लगाया कि घाटी में वह जहां जाने की योजना बनाए हुए थे, उनमें से दस फीसदी हिस्से तक भी उन्हें नहीं जाने दिया गया। इससे वे उन लोगों से नहीं मिल सके, जो सच में परेशान हैं। जो घाटी की सही तस्वीर उनके सामने रखना चाहते थे। कहा कि घाटी का दर्द उनसे साझा नहीं होने दिया गया।

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बोलने और विरोध की आजादी खत्म  : आजाद ने कहा-कहा कि कश्मीर में निराशा है। जम्मू में भी लोग निराश हैं। सत्ताधारी बीजेपी के 100-200 लोगों को छोड़कर धारा 370 के हटने और राज्य के दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने से कोई भी खुश नहीं है। राज्य का दर्जा बदलने के बाद से आवाज भी दबा दी गई। बोलने की आजादी, अभिव्यक्ति की आजादी या विरोध की आजादी खत्म हो गई है।

सुप्रीम कोर्ट ने दी थी जाने अनुमति : 16 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने आजाद को जम्मू-कश्मीर जाने की अनुमति दी थी। इससे पहले तीन बार उन्हें श्रीनगर एयरपोर्ट से वापस लौटा दिया गया था। उन्होंने कहा कि दिल्ली लौटने के बाद वह यह तय करेंगे कि इसकी रिपोर्ट केंद्र को दें कि नहीं। फिलहाल उन्हें घाटी की सही तस्वीर नहीं देखने दिया गया।