मनराज ग्रेवाल शर्मा
पटियाला में 13 मार्च को कर्नल पुष्पिंदर सिंह बाठ और उनके बेटे पर हमले के मामले की जांच अब केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) करेगी। पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने बुधवार को यह फैसला सुनाते हुए चंडीगढ़ पुलिस की कार्यशैली पर कड़ी नाराजगी जताई और उसे नाकाम और पक्षपातपूर्ण करार दिया। जस्टिस राजेश भारद्वाज की एकल पीठ ने कहा कि चंडीगढ़ पुलिस निष्पक्ष जांच करने में असफल रही है। कोर्ट को जानकारी दी गई थी कि इस मामले में नामजद पांचों आरोपी, जिनमें चार पुलिस इंस्पेक्टर हैं, अब तक फरार हैं और उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट तक जारी नहीं किए गए।
सोमवार को हुई पिछली सुनवाई में कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए पूछा था कि अग्रिम जमानत खारिज हुए दो महीने हो चुके हैं, फिर भी आरोपियों को गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया। इस पर जांच अधिकारी आईपीएस मंजीत श्योराण कोर्ट में उपस्थित हुए लेकिन अपनी टीम की जांच को न्यायसंगत ठहराने में असफल रहे।
पीड़ित पक्ष ने पुलिस की जांच पर लगाया गंभीर आरोप
पीड़ित पक्ष के वकील पीएस अहलूवालिया ने कोर्ट को बताया कि पहले पुलिस ने IPC की धारा 307 (हत्या की कोशिश) लगाई थी और इसी आधार पर राज्य सरकार ने अग्रिम जमानत का विरोध भी किया। लेकिन अब बिना कोई वजह बताए यही धारा हटा ली गई। उन्होंने कहा, “राज्य की ओर से पहले कहा गया था कि पूछताछ जरूरी है ताकि गवाहों की सुरक्षा हो सके, लेकिन अब वही राज्य उल्टा रुख अपना रहा है।”
अहलूवालिया ने बताया कि मेडिकल रिकॉर्ड में कर्नल को 8 और उनके बेटे को 5 गंभीर चोटें आई थीं, जिसमें कर्नल की दो हड्डियां टूटी थीं और बेटे की नाक फ्रैक्चर हुई थी। फिर भी पुलिस ने जानबूझकर धारा 326 (घातक हथियार से गंभीर चोट) को भी नहीं जोड़ा, जबकि लाठियों का प्रयोग ‘घातक हथियार’ की श्रेणी में आता है।
कोर्ट को यह भी बताया गया कि घटना के दौरान कर्नल का सरकारी पहचान पत्र और फोन छीन लिया गया था, जो अगले दिन लौटाया गया। बाद में पुलिस ने एक नया गवाह पेश कर यह साबित करने की कोशिश की कि फोन जमीन पर गिरा था, जिसे कोर्ट ने एक “घटिया बचाव” बताया।
कोर्ट ने यह भी पाया कि मेडिकल रिकॉर्ड में समय से छेड़छाड़ किया गया। उसमें ‘pm’ को ‘am’ कर दिया गया ताकि यह दिखाया जा सके कि आरोपी पहले इलाज के लिए पहुंचे थे। कोर्ट ने कहा, “हमने जांच IPS अधिकारी को सौंपकर निष्पक्षता की उम्मीद की थी, लेकिन वैसा नहीं हुआ। अब केस CBI को ट्रांसफर किया जाता है ताकि सच्चाई सामने आ सके।”