पूरे देश में स्वच्छता अभियान के तहत साफ-सफाई का काम जोरों पर है। इसी के तहत हर जगह सार्वजनिक शौचालयों के निर्माण भी बड़ी संख्या में हुए हैं। बेदिल ने देखा कि दिल्ली से सटे नोएडा में सार्वजनिक शौचालयों का हाल बेहाल है। यहां इनको कोई पूछने वाला नहीं है। सफाई व्यवस्था तो खराब है ही साथ में पानी की आपूर्ति नहीं होने से हाथ धोने के लिए बनी टोटियां सिर्फ सजावटी रह गई हैं। बताइए यह हाल तब है जब शौचालयों के रखरखाव पर काफी पैसा खर्च किया जा रहा है और यहां कर्मचारी भी तैनात किए गए हैं। पता तो ये भी चला है कि शौचालय में पानी की आपूर्ति और टोटियों की मरम्मत के लिए ठेका किसी और व सफाई के लिए ठेका किसी और के पास है। अब एक शौचालय के लिए जब इतना पैसा खर्च किया जा रहा है तो प्राधिकरण को यह सोचना चाहिए कि ये स्वच्छता का अभियान है या अस्वच्छता का।
कोरोना पर भारी
दिल्ली के बाजारों में कोरोना नियमों का पालन अब गुजरे जमाने की बात हो चली है। बीते दिनों लाजपत नगर बाजार में दिवाली की खरीदारी में के लिए उमड़ा हुजूम इन दिनों लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। सदर में भी कमोबेश स्थिति वैसे ही देखी जा सकती है। किसी ने ठीक ही कहा था कि कोरोना पर खरीदारी भारी पड़ती दिख रही है। कहना न होगा कि न केवल सदर बल्कि लाजपत नगर केंद्रीय बाजार को भी पिछले दिनों प्रशासन ने कोरोना दिशानिर्देशों के उल्लंघन के लिए कई दिनों तक बंद कर रखा था। व्यापारी संगठनों के आश्वासनों के बाद ही ये बाजार दोबारा से खुल पाए। लेकिन दीवाली की खरीदारी ने मानो सब पर पानी फेर दिया हो। अब देखना यह है कि कहीं ऐसा न हो कि त्योहारों के बीच प्रशासन का ऊंट फिर करवट ले बैठे!
मालिक कोई और
वाट्सऐप समूह तो दिल्ली पुलिस का और ‘एडमिन’ कोई और। यह कमाल है मीडिया से संपर्क साधने के लिए बनाए गए जिला पुलिस उपायुक्त के वाट्सऐप समूह का। कुछ साल पहले तत्कालीन आयुक्त ने यह निर्देश जारी किए थे कि पुलिस मुख्यालय के अलावा जिलों के पुलिस उपायुक्त भी अपने-अपने हिसाब से वाट्सऐप समूह बनाकर मीडिया से पुलिस की खबरें साझा करें। इसी के तहत सभी जिले के उपायुक्तों ने वाट्सऐप समूह तो बनाए लेकिन धीरे-धीरे कन्नी काटने लगे। बेदिल ने देखा कि इस समय हालात यहां तक पहुंच चुके हैं कि कई जिले के समूहों में से उसके ‘एडमिन’ बने उपायुक्त उसे छोड़कर चले गए हैं यानी ‘लेफ्ट’ कर गए हैं। अब भला उस समूह का क्या मतलब जिसमें पुलिस उपायुक्त ही नहीं हों? मतलब साफ है कि एक तरफ आयुक्त की सख्ती तो दूसरी तरफ उपायुक्त की मनमर्जी।
माननीय की फुर्ती
दिल्ली नगर निगम के प्रथम नागरिक रह चुके एक नेताजी ने तो जैसे रेकार्ड बनाने की कसम खा ली है। उनका कहना है कि जब पद पर थे तो उन्होंने अपनी गतिविधियां तेज कर रखी थीं और अब जब पद पर नहीं हैं तो फिर उस गतिविधियों को चलाने में आलस्य क्यों? भले ही अब वे पद से हट गए हैं लेकिन बतौर निगम के सदस्य तो वे इलाके में काम कर ही सकते हैं? फिर कुछ दिन में निगम का चुनाव जो आने वाले हैं। मतदाताओं के बीच जाने का यही तो मौका है।
चांद का चकमा
पूरे देशभर के साथ ही दिल्ली और आसपास के इलाकों में रविवार को करवाचौथ का त्योहार मनाया गया। सारे साजो-श्रृंगार के साथ तैयार हुई महिलाएं बेसब्री से चांद का इंतजार कर रही थीं। लेकिन शाम होते-होते यहां आसमान में घिरे बादलों ने उनका इम्तिहान और कड़ा कर दिया। महिलाएं पति के हाथ से पानी पी कर व्रत तोड़ने की आस में थीं, लेकिन आसमान से ही पानी बरसने लगा। इस बीच बेदिल को पता चला कि जब चांद ने धोखा दिया तो महिलाएं इंटरनेट पर व्रत खोलने के लिए विकल्पों की तलाश में जुट गर्इं। छत पर जाकर खुले में पूजा करने वाली महिलाओं ने घर की चारदीवारी में ही पूजा की। हां मगर, महिलाओं ने चांद देखने के बाद ही अपना व्रत पूरा किया।
-बेदिल
अस्वच्छता का अभियान
पूरे देश में स्वच्छता अभियान के तहत साफ-सफाई का काम जोरों पर है।
Written by जनसत्ता
नई दिल्ली

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First published on: 25-10-2021 at 08:05 IST