सिविल सोसायटी ने क्षेत्र और आबादी के लिहाज से राष्ट्रीय राजधानी में मात्र तीन फीसदी की हिस्सेदारी रखने के बावजूद ‘नयी दिल्ली नगरपालिका परिषद’ (एनडीएमसी) का ‘स्मार्ट सिटी’ परियोजना के तहत चयन किए जाने पर सवाल उठाया है। सिविल सोसाइटी के सदस्यों दावा किया है कि यह तय वास्तविक प्रक्रिया निर्धारित प्रक्रिया से अलग है। पिछले महीने केंद्र सरकार के स्मार्ट सिटी प्रतियोगिता के विजेता 20 शहरों में एनडीएमसी इलाका भी शामिल है।
लोगों के समुचित आवास के अधिकारों के लिए काम करने वाले व्यक्तियों और संगठनों की सामूहिक संस्था ‘दिल्ली हाउसिंग राइट्स टास्क फोर्स’ (डीएचआरटीएफ) ने दिल्ली से मिले अन्य प्रस्तावों पर किसी तरह की सूचना उपलब्ध नहीं कराने पर चिंता जताई है। राष्ट्रीय राजधानी में पांच नगर निकाय हैं – उत्तरी, दक्षिण और पूर्वी दिल्ली नगर पालिका, नयी दिल्ली नगरपालिका परिषद :एनडीएमसी: और दिल्ली कैंटोनमेंट बोर्ड।
डीएचआरटीएफ की सदस्य शिवानी चौधरी ने बताया, ‘‘दिल्ली से किसी अन्य प्रस्ताव पर विचार नहीं किया गया है और इसके कारण शहर की अहम जरूरतों को देखते हुए ऐसे इलाके केंद्रीय मदद मांगने का अवसर खो चुके हैं। दूसरे प्रस्तावों पर विचार क्यों नहीं किया गया इसे लेकर र्सावजनिक क्षेत्र में कोई सूचना भी नहीं है। ’’अन्य सदस्य गौतम ने दावा किया कि सार्वजनिक क्षेत्र में एनडीएमसी की ओर से दायर प्रस्ताव भी उपलब्ध नहीं है। बहरहाल, डीएचआरटीएफ की चिंताओं पर बयान देने से इनकार करते हुए अधिकारी इस बात पर कायम रहे कि स्मार्ट सिटी परियोजना के लिए जरूरी सभी निश्चित प्रक्रियाओं का अनुसरण किया गया है।