राजधानी दिल्ली में प्रतिबंधित चीनी मांझा एक बार फिर जानलेवा साबित हुआ है। हाल में इसकी चपेट में आने से एक युवक की मौत हो गई, जबकि दूसरा गंभीर रूप से घायल हो गया। इस घटना ने दिल्ली पुलिस की कार्रवाई पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, जो जानलेवा मांझे की बिक्री और उपयोग को रोकने में विफल दिख रही है। दिल्ली में 2017 से 2025 तक मांझे की चपेट में आने से 10 लोगों की जान जा चुकी है। दो दर्जन से ज्यादा दोपहिया वाहन सवार जख्मी हो चुके है। पुलिस किसी भी मामले में आरोपी तक नहीं पहुंच सकी है।
एनजीटी ने 2017 में चीनी मांझे पर प्रतिबंध लगाया था, फिर भी 2017 से अब तक दिल्ली में 10 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं और दर्जनों घायल हुए हैं। पुलिस धड़पकड़ के दावे कर रही है और आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल तक 147 मामले दर्ज कर 13,000 रीलें जब्त की गई थीं। हाल ही में अपराध शाखा ने तीन ठिकानों पर छापा मारकर 1,226 रोल्स जब्त किए और तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया, जो सोशल मीडिया पर भी मांझा बेच रहे थे।
क्या है जानलेवा मांझा
यह मांझा नायलान और मैटेलिक पाउडर से बनता है, जिस पर कांच या लोहे के चूरे से धार लगाई जाती है। यह प्लास्टिक जैसा और स्ट्रेचेबल होता है और खींचने पर टूटने के बजाय बढ़ता है। इसकी धार ब्लेड जैसी होती है और यह बिजली का सुचालक भी होता है, जिससे करंट लगने का खतरा रहता है।
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दोपहिया वाहन चालक इसके ज्यादा शिकार होते हैं। चीनी मांझा बेचने, इस्तेमाल करने या भंडारण करने पर पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत 5 साल की सजा या 1 लाख रुपए का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
वहीं, भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) 223 (बी) में मामला दर्ज किया गया तो एक साल की सजा या पांच हजार रुपए जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। कुछ केसों ने धारा 223 (ए) में लगाई थी, जिसके तहत छह माह कैद या 2500 जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। बावजूद इसके, दिल्ली में ‘मौत का मांझा’ बेखौफ बिक रहा है और यह सवाल बना हुआ है कि इन कड़े कानूनों का पालन क्यों नहीं हो पा रहा है।
बुधवार शाम को शास्त्री पार्क फ्लाईओवर पर 29 वर्षीय प्रकाश चीनी मांझे से बुरी तरह जख्मी हो गए। इससे पहले, 27 जून को 22 वर्षीय यश गोस्वामी की चीनी मांझे से गर्दन कटने के बाद मौत हो गई थी, जब वह स्कूटी चला रहे थे।