पंजाब के बाद अब छत्तीसगढ़ कांग्रेस में भी कलह पार्टी के लिए नया संकट पैदा करने जैसा है। पंजाब के सीएम और पार्टी नेता नवजोत सिंह सिद्धू के बीच विवाद से पार्टी हाईकमान तक बेचैन है। इस बीच छत्तीसगढ़ में भी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री के बीच टकराव पार्टी के लिए चिंता पैदा करने वाला है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य में कोरोना से निपटने और स्वास्थ्य सेवा मजबूत करने के लिए अस्पताल बनाने के उद्देश्य से निजी क्षेत्र को अनुदान देने की बात कही थी। इस पर स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव ने सवाल खड़े किए हैं। उनका कहना है कि इस पर उनसे कोई चर्चा नहीं की गई और न ही यह प्रस्ताव ही उचित है।

स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव ने कहा, “सभी नागरिकों का सरकार के बजट से निशुल्क उपचार हो, मैं इस बात का पक्षधर हूं। हम यह कहते हैं कि हमारे पास सरकारी तंत्र से स्वास्थ्य व्यवस्था को और सुदृढ़ करने में पैसों की कमी आती है। दूसरी तरफ निजी क्षेत्र को पैसा देकर कहें कि वह उपचार करे और आम लोगों से भी पैसा लें तो यह अच्छा नहीं होगा। अगर निजी क्षेत्र सरकार से पैसा लेकर उपचार करती है और आम लोगों से कुछ भी नहीं लेती है तो यह बात समझ में आती है। वह सरकार से ग्रांट ले और पब्लिक से कुछ भी नहीं ले, तब तो ठीक है, लेकिन सरकार भी पैसा दे और पब्लिक से भी पैसा ले तो यह उचित नहीं होगा।”

उन्होंने कहा कि अभी इस पर कोई गंभीर चर्चा नहीं हुई है। मीडिया में ही यह सुनने में आया है। हालांकि मैं इस प्रस्ताव के पक्ष में नहीं हूं। उन्होंने साफ कहा कि मैं इसका समर्थन नहीं करूंगा। कहा कि सीएम ने मुझसे इस बारे में कोई चर्चा भी नहीं की।

इस प्रस्ताव की घोषणा सीएम ने 26 जून को की थी और दस दिन में निजी क्षेत्र से कार्ययोजना बनाकर देने को कहा था कि वे किस तरह से गांवों में अस्पताल बनाएंगे। कोरोना को देखते हुए सरकार गांवों में अस्पताल निर्माण और स्वास्थ्य व्यवस्था मजबूत करने के लिए इस पर तेजी से काम करने की जरूरत बताई थी।

गौरतलब है कि अगले साल पंजाब, यूपी समेत कई बड़े राज्यों में विधानसभा चुनाव है। ऐसे में कांग्रेस के अंदर का कलह बाहर निकलकर सामने आ रहा है। इससे पार्टी के सामने अपने नेताओं को समझाने और उनको एकजुट रखने की बड़ी समस्या खड़ी हो गई है।