छत्तीसगढ़ में चुनाव जीतने के पांच दिन बाद कांग्रेस मुख्यमंत्री पद के लिए प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल का नाम तय कर पाई। इसके लिए रायपुर से दिल्ली तक 10 से ज्यादा बैठकें हुईं। कई समीकरण बने और बिगड़े। सीएम के चारों दावेदारों में से भूपेश बघेल के नाम पर मुहर लगना इतना भी आसान नहीं था।
चार दावेदार थे सीएम पद के लिए
सूत्रों के मुताबिक, छत्तीसगढ़ में सीएम के लिए भूपेश बघेल, टीएस सिंहदेव, ताम्रध्वज साहू और चरणदास महंत का नाम चर्चा में था। कांग्रेस की जीत के बाद दिल्ली से रायपुर भेजे गए पर्यवेक्षक के सामने भूपेश समेत सीएम पद के लिए अन्य दावेदार थे। कुछ वरिष्ठ नेताओं ने बघेल के नाम पर असहमति जताई। इसके बाद टीएस सिंहदेव को सीएम बनाए जाने की बात आई। दिल्ली में पर्यवेक्षक, प्रदेश प्रभारी की राहुल के साथ जब बैठक हुई तो दिल्ली में भी नेताओं ने बघेल के नाम पर असहमति जताई गई।
विकल्प की तलाश में बढ़ा ताम्रध्वज का नाम
इस सवाल के बाद ही दुर्ग सांसद और दुर्ग ग्रामीण से विधायक चुने गए ताम्रध्वज साहू का नाम सामने आया। कुछ नेताओं ने उनका नाम आगे बढ़ाया। खुद पर्यवेक्षक खड़गे, प्रभारी पीएल पुनिया और मोतीलाल वोरा भी उनके समर्थन में थे। शुक्रवार शाम तक ताम्रध्वज साहू की ताजपोशी लगभग तय मानी जा रही थी।
डिप्टी सीएम का प्रस्ताव लाया ट्विस्ट
ताम्रध्वज को सीएम बनाकर बघेल और सिंहदेव में से किसी एक को डिप्टी सीएम के पद से संतुष्ट करने की तैयारी थी, लेकिन दोनों नहीं माने। वे दोनों फिर राहुल के पास गए। उनकी आपत्ति के बाद राहुल ने सीएम के नाम पर दोबारा मंथन किया। उन्होंने चारों दावेदारों के साथ खड़गे और पुनिया को भी बुलाया। इस बैठक में ताम्रध्वज की दावेदारी खत्म हो गई।
भूपेश-सिंहदेव में समझौते के बाद हुआ फैसला
सीएम के लिए चेहरे के चयन का मामला भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव के हाथ मिलाने के बाद ही सुलझा। पहले दाेनों अपने-अपने दावे पर अड़े थे। कहीं पांच साल की मेहनत बेकार न जाए, इसी सोच से दोनों नेताओं ने राहुल के सामने अपनी बात रख दी कि हम दोनों में से आप जिसे तय करेंगे, वही सीएम बनेगा। हम एक-दूसरे का विरोध नहीं करेंगे।
इसलिए सीएम चुने गए भूपेश
- छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को मजबूती देने में भूपेश ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। हर मामले में वे कांग्रेस के पक्ष में कठोरता से खड़े रहे। यही वजह है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भूपेश बघेल के नाम पर हरी झंडी दे दी। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल ने भूपेश को जो भी टास्क दिया, उस पर बघेल खरे उतरे। पीसीसी चीफ के रूप में कांग्रेस को मजबूती दिलाई।
- बोल्ड स्टैंड लेते हुए पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के बेटे अमित जोगी को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया। परिस्थिति कैसी भी हो संगठन की ताकत बनाए रखी।
- भाजपा सरकार के खिलाफ हमेशा आक्रामक रहे। यही नहीं कभी भाजपा नेताओं के साथ मंच तक साझा नहीं किया। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह से कभी हाथ तक नहीं मिलाया। विपक्ष में रहते हुए पूरे 5 साल पार्टी कार्यकर्ताओं को चार्ज रखा।