छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार-भाटापारा जिले के लच्छनपुर गांव के एक सरकारी स्कूल में बच्चों को कुत्ते का झूठा भोजन परोसने का मामला हाईकोर्ट तक पहुंच गया। यह घटना 28 जुलाई को हुई थी, जब स्कूल में स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) मिडडे मील बना रहा था। उसी दौरान एक कुत्ता खाने में मुंह मार गया। बच्चों ने यह बात शिक्षकों को बताई और उन्होंने समूह को सलाह दी कि यह भोजन छात्रों को न दिया जाए, लेकिन इसके बावजूद बच्चों को वही खाना परोस दिया गया। शिकायत के बाद भी गंदे हिस्से को हटाया नहीं गया और बच्चों को उसे खाने पर मजबूर होना पड़ा।

इस घटना को गंभीर मानते हुए हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया और इसे जनहित याचिका के रूप में दर्ज किया। सरकार से रिपोर्ट मांगी गई जिसमें बताया गया कि घटना के बाद 84 छात्रों को रेबीज रोधी टीके की तीन खुराकें दी गईं। सीएमएचओ की रिपोर्ट के अनुसार सभी छात्र स्वस्थ हैं और स्कूल भी आ रहे हैं। बच्चों को स्वास्थ्य केंद्र की निगरानी में रखा गया है।

अदालत ने कहा- जूठे भोजन परोसना स्वीकार नहीं

सरकार ने बताया कि इस मामले में कोई मुआवजा नहीं दिया गया क्योंकि स्वास्थ्य जांच में सभी बच्चे सामान्य पाए गए। हालांकि, हाईकोर्ट ने इसे बड़ी लापरवाही माना। अदालत ने कहा कि जब सरकार और स्वयं सहायता समूह बच्चों के लिए भोजन उपलब्ध कराने के जिम्मेदार थे, तब दूषित भोजन परोसना अस्वीकार्य है।

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घटना के बाद जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की गई। स्वयं सहायता समूह को स्कूल से हटा दिया गया और आगे कोई सरकारी लाभ नहीं देने का फैसला लिया गया। स्कूल के प्रभारी प्राचार्य, शिक्षक और अन्य जिम्मेदार अधिकारियों को भी निलंबित कर दिया गया। साथ ही जिलाधिकारी ने सभी स्कूलों में मिडडे मील की गुणवत्ता और स्वच्छता बनाए रखने के लिए नए निर्देश जारी किए।

मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बिभु दत्ता गुरु की पीठ ने अपने आदेश में कहा कि कुत्ते का झूठा भोजन बच्चों को परोसना गंभीर लापरवाही है। अदालत ने निर्देश दिया कि प्रत्येक छात्र को एक महीने के भीतर 25-25 हजार रुपये का भुगतान किया जाए। साथ ही यह उम्मीद जताई कि भविष्य में सरकारी स्कूलों में मिडडे मील को लेकर सरकार अधिक सतर्क और जिम्मेदार रहेगी।