बीजेपी में, नहीं नहीं आप में नहीं फिर बीजेपी में! चंडीगढ़ मेयर चुनाव पूरे देश में चर्चा का विषय रहे। चुनाव अधिकारी द्वारा किया गया पक्षपाती कदम बीजेपी पर भारी पड़ा और अब पार्टी को पार्षदों ने भी झटका दे दिया है। जब बीजेपी का पलड़ा भारी लगा तो आप के 3 पार्षद पाला बदलकर बीजेपी के साथ चले गए थे और सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद जब दोबारा बीजेपी बैकफुट पर है और आप का चंडीगढ़ में मेयर बन चुका है तो एक बार फिर आप से बीजेपी में गए दो पार्षदों ने आप में अपनी घर वापसी करा ली है।

बीजेपी में गए दोनों पार्षद फिर से आम आदमी पार्टी में आ गए हैं। इसमें पूनम देवी गुरचरण काला और नेहा मुसावत का नाम शामिल है। दोनों ने 18 फरवरी को बीजेपी से हाथ मिलाया था लेकिन अब फिर से आप की झाड़ू थाम ली है।

जब चंडीगढ़ मेयर चुनाव का मामला सुप्रीम कोर्ट गया था तो कोर्ट में सुनवाई होने से ठीक पहले ही ये तीनों पार्षद बीजेपी में चले गए थे। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण सूद के साथ उनका पार्टी में स्वागत करते हुए कहा था कि पार्षदों को पूर्ण मान-सम्मान मिलेगा, उन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जाएगी। अब पार्षदों ने ही पार्टी को झटका दे दिया।

चुनाव में धांधली के लगे थे आरोप

गौरतलब है कि तीन पार्षदों के पाला बदलने के बाद आम आदमी पार्टी और कांग्रेस पार्षदों की संख्या नगर निगम में 20 से घटकर 17 रह गई थी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने मेयर चुनाव का फैसला इंडिया अलायंस के पक्ष में दिया था जिससे बीजेपी को ही मात खानी पड़ी थी। इसके बाद वहां मेयर पद पर पहली बार INDIA ब्लॉक का मेयर बना था। हालांकि पाला बदलने के चलते बीजेपी आसानी से अपना सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर चुनाव बिठा सकी थी।

चंडीगढ़ मेयर चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की थी। 30 जनवरी को चंडीगढ़ मेयर का चुनाव में कथित धांधली को लेकर कांग्रेस और AAP की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पूरी चुनावी प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी और बैलट पेपर सील करने का निर्देश दिया था।

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सुप्रीम कोर्ट ने की थी तल्ख टिप्पणी

इसके बाद चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने मेयर चुनाव के लिए रिटर्निंग ऑफिसर रहे अनिल मसीह को फटकार लगाई थी और कहा था कि CCTV फुटेज से स्पष्ट है उन्होंने (प्रिजाइडिंग ऑफिसर) ने मतपत्रों को खराब किया था। उन पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए। यह लोकतंत्र का मजाक है। लोकतंत्र की हत्या है, हम आश्चर्यचकित हैं।

बता दें कि मतों की गिनती दोबारा की गई थी जिसमें आप-कांग्रेस गठबंधन का प्रत्याशी जीत गया था।