केंद्र सरकार ने तीन साल बाद विशेष शर्तों के साथ पश्चिम बंगाल में मनरेगा (MGNREGA) को फिर से शुरू किया। केंद्र ने पश्चिम बंगाल में ग्रामीण रोजगार योजना के कार्यान्वयन को निलंबित करने के तीन साल बाद विशेष शर्तें और रेगुलेशन लागू करके तत्काल प्रभाव से राज्य में मनरेगा को फिर से शुरू करने का आदेश दिया है। इस बात की जानकारी पश्चिम बंगाल सरकार को भी दे दी गई थी।

सूत्रों के अनुसार, केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुपालन में 6 दिसंबर को इसका एक आदेश जारी किया, जिसमें कहा गया कि “ग्रामीण विकास विभाग तत्काल प्रभाव से पश्चिम बंगाल राज्य में महात्मा गांधी नरेगा के भावी कार्यान्वयन को फिर से शुरू करता है।” आदेश में कहा गया है, “इस तरह की बहाली, कार्यान्वयन में पारदर्शिता और अखंडता सुनिश्चित करने के लिए माननीय उच्च न्यायालय द्वारा निर्देशित विशेष शर्तों और नियामक उपायों के अनिवार्य पालन के अधीन है। पश्चिम बंगाल राज्य में योजना की बहाली के लिए विशेष शर्तें अनुलग्नक ए में संलग्न हैं।”

आदेश के Annexure A में जॉब कार्ड और बायोमेट्रिक उपस्थिति, वित्तीय प्रबंधन/श्रम बजट , कार्य, निगरानी और जवाबदेही, वसूली और दंडात्मक कार्रवाई और अन्य शर्तों के संबंध में बंगाल के लिए विशेष शर्तों का उल्लेख किया गया है।

पढ़ें- मंदिर के ‘पक्ष’ में फैसला देने वाले हाई कोर्ट जज के खिलाफ इंडिया ब्लॉक लाएगा महाभियोग प्रस्ताव

MGNREGA: विशेष शर्तें लगाने का अधिकार केंद्र पर

27 अक्टूबर को, शीर्ष अदालत ने केंद्र की उस विशेष अनुमति याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें उच्च न्यायालय के 18 जून के आदेश को चुनौती दी गई थी। इसमें बंगाल में मनरेगा को 1 अगस्त, 2025 से लागू करने का निर्देश दिया गया था और विशेष शर्तें लगाने का अधिकार केंद्र पर छोड़ दिया गया था। केंद्र ने मनरेगा, 2005 की धारा 27 का हवाला देते हुए, “केंद्र सरकार के निर्देशों का पालन न करने” के कारण, 9 मार्च, 2022 से बंगाल को धनराशि जारी करने पर रोक लगा दी थी।

आदेश के अनुसार, “राज्य को सभी श्रमिकों का 100% ई-केवाईसी पूरा करना होगा और अनिवार्य ई-केवाईसी के बाद ही मस्टर रोल जारी किए जाएँगे।” केंद्र ने श्रम बजट की मंजूरी के संबंध में एक विशेष शर्त भी रखी है, जिसे बंगाल के लिए तिमाही आधार पर मंजूरी दी जाएगी। आमतौर पर इसे पूरे वर्ष के लिए मंजूरी दी जाती है।