उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद और कानपुर में वक्फ बोर्ड की संपत्तियों की कथित अवैध बिक्री, खरीद और हस्तांतरण के मामले की जांच सीबीआई ने अपने हाथों में ले ली है। एजेंसी ने उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी के खिलाफ इस सिलसिले में मामला भी दर्ज किया है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। राज्य सरकार ने पिछले साल दो मामलों की जांच सीबीआई से कराने की अपील की थी।

इनमें से एक के संबंध में उत्तर प्रदेश पुलिस ने 2016 में इलाहाबाद में और दूसरा मामले में 2017 में लखनऊ में रिजवी और अन्य लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। केन्द्र ने बुधवार को मामलों की सीबीआई जांच की अनुमति दे दी। अधिकारियों ने बताया कि इलाहाबाद का मामला 2016 में इमामबाड़ा गुलाम हैदर में कथित अतिक्रमण और दुकानों के अवैध निर्माण से संबंधित है। वहीं लखनऊ में दर्ज प्राथमिकी 2009 में कानपुर के स्वरूप नगर में कथित तौर पर जमीन हथियाने से जुड़ा है।

लखनऊ मामले में रिजवी और वक्फ बोर्ड के अधिकारियों पर 27 लाख रुपए लेकर कानपुर में वक्फ की बेशकीमती संपत्ति का पंजीकरण निरस्त करने और पत्रावली से महत्वपूर्ण कागजात गायब करने का आरोप लगाया था। इस एफआईआर में वसीम रिजवी के अलावा जमीन का लाभ पाने वाले में अन्य चार लोगों को भी आरोपी बनाया गया है।

इलाहाबाद मामले में एफआईआर अगस्त 2016 में दर्ज की गई थी। बोर्ड के तब के चेयरमैन वसीम रिजवी ने इमामबाड़ा गुलाम हैदर त्रिपोलिया, ओल्ड जीटी रोड पर अवैध रूप से दुकानों का निर्माण शुरू कराया था। क्षेत्रीय अवर इंजीनियर ने 7 मई 2016 को निरीक्षण के बाद पुराने भवन को तोड़कर किए जा रहे अवैध निर्माण को बंद करा दिया था।

वहां बाद में फिर से निर्माण कार्य शुरू करा दिया गया। इसे रोकने के लिए कई पत्र लिखे गए, फिर भी निर्माण कार्य बदस्तूर जारी रहा। जिसके बाद रिजवी को नामजद करते हुए 26 अगस्त 2016 को एफआईआर दर्ज करा दी गई। रिजवी के खिलाफ आईपीसी की धारा 447 और 441 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। (एजेंसी इनपुट)