सीबीआइ ने गुरुवार को ऐसे दस्तावेज मिलने का दावा किया जो आइसीएसआइएल के जरिए दिल्ली सरकार में की गई भर्ती प्रक्रिया में अनियमितताओं की ओर संकेत करते हैं। इसके साथ ही एजंसी ने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के प्रधान सचिव राजेंद्र कुमार के खिलाफ जांच का दायरा बढ़ाने पर वह विचार कर रही है।
एजंसी सूत्रों ने कहा कि उन्हें दिल्ली सरकार में भर्ती के संबंध में चार फाइलें मिली हैं। एक फाइल डाटा एंट्री आपरेटरों की भर्ती से संबंधित है और इसमें कई पन्ने गायब मिले हैं। इस वजह ने एजंसी को भर्ती प्रक्रिया में गहन जांच के लिए प्रेरित किया। कुमार के खिलाफ सीबीआइ अभी पांच मामलों में जांच कर रही है। ये मामले 2009 से 2014 के बीच के हैं। इस दौरान उन्होंने दिल्ली सरकार में कई पदों पर काम किया।
सूत्रों ने कहा कि जांच का विस्तार किया जा सकता है और इसमें और अधिकारियों और भर्ती प्रक्रियाओं को शामिल किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि किसी भी बात को अंतिम रूप नहीं दिया गया है और आगे की कोई भी कार्रवाई कुमार से आगे पूछताछ के दौरान सामने आने वाले ब्योरे पर निर्भर करेगी। उन्होंने कहा कि कुमार को एक बार फिर पूछताछ के लिए बुलाया जाएगा क्योंकि एजंसी को पांच आडियो क्लीपिंग मिले हैं, जिनमें वह कथित तौर पर संबंधित अधिकारियों को ठेके के करारों में कथित रूप से गड़बडी के लिए मौखिक निर्देश दे रहे हैं।
सूत्रों ने दावा किया कि कथित क्लीपिंग कुमार के ईमेल अकाउंट से मिले हैं और ये उन अधिकारियों पर उनके प्रभाव का संकेत देते हैं जिनके नाम प्राथमिकी में दर्ज नहीं किए गए हैं और उन्हें आरोपपत्र में शामिल किया जा सकता है। सीबीआइ ने कहा कि उसने कुमार और अन्य के खिलाफ एक मामला दर्ज किया है। अधिकारी के खिलाफ आरोप हैं कि उन्होंने ‘पिछले कुछ बरसों के दौरान दिल्ली सरकार के विभागों से ठेके दिलाने में एक खास कंपनी को लाभ पहुंचाया।’
एक निजी कंपनी को 2007 से 2009 के दौरान पांच ठेकों में कथित तौर पर 9.5 करोड़ रुपए का लाभ पहुंचाने के आरोप में कुमार के खिलाफ धारा 120 बी (आपराधिक षडयंत्र) और भ्रष्टाचार निवारण कानून की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। सीबीआइ ने मामला दर्ज करने के बाद अपने बयान में कहा था कि आरोपी ने आइसीएसआइएल (इंटेलिजेंट कम्युनिकेशन सिस्टम्स इंडिया लि.) के जरिए कंपनी को कथित तौर पर करीब 9.50 करोड़ रुपए के ठेके दिलाने में मदद की।