दक्षिण भारतीय राज्यों तमिलनाडु और कर्नाटक के बीच कावेरी नदी का जल अभी भी विवाद की जड़ बना हुआ है। तमिलनाडु सरकार ने मेकेदातु में कावेरी नदी पर एक बांध बनाने के कर्नाटक के प्रस्ताव पर चर्चा करने के केंद्रीय समिति के फैसले पर बुधवार (10 जुलाई) को ऐतराज जताया। तमिलनाडु सरकार ने कहा कि यह एक विवाद अधिकरण के अंतिम आदेश और सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्पष्ट उल्लंघन है।

पर्यावरण मंत्रालय के अधीन आती है समितिः नदी घाटी और पनबिजली परियोजनाओं के लिए विशेषज्ञ आकलन समिति की 19 जुलाई को होने वाली बैठक से पहले राज्य सरकार ने यह ऐतराज जताया है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ई पलानीस्वामी ने नदी पर बांध बनाने संबंधी कर्नाटक के प्रस्ताव को अपनी बैठक में शामिल करने को लेकर समिति का विरोध किया है। यह समिति केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत आती है।

पीएम मोदी के बाद अब दो मंत्रियों को चिट्ठीः केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को लिखे अपने पत्र में पलानीस्वामी ने उस बात का जिक्र किया है। बता दें कि इस विषय पर इससे पहले वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी पत्र लिख चुके हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने कर्नाटक के प्रस्ताव को इजाजत देने से इनकार करने के लिए पीएम मोदी से हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया था। उन्होंने शेखावत से इस मुद्दे को जावड़ेकर के समक्ष उठाने का अनुरोध किया। दोनों राज्यों के बीच इस मसले पर तनातनी अब भी जारी है। भयानक सूखे की मार झेल रहे तमिलनाडु के एक बड़े हिस्से के लिए इस नदी का पानी बेहद महत्वपूर्ण है।