बिहार में जातीय जनगणना कराए जाने पर नीतीश सरकार ने बुधवार (1 जून, 2022) को फैसला ले लिया है। वहीं बीजेपी ने इस पर आपत्ति जताई है।सर्वदलीय बैठक में सभी दलों ने जाति आधारित जनगणना कराए जाने के प्रस्ताव को मंजूर किया। कैबिनेट से प्रस्ताव को पास कराकर बिहार में जाति आधारित जनगणना कराई जाएगी। इसके लिए फंड का भी इंतजाम कर लिया गया है। इसका नाम जाति आधारित जनगणना होगा। बैठक के बाद सीएम नीतीश कुमार ने जातीय जनगणना को लेकर ऐलान किया। सीएम नीतीश ने कहा कि सर्व सहमति से निर्णय हुआ है कि बिहार में जातीय आधारित जनगणना कराई जाएगी।

बैठक में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल और डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद शामिल हुए। राजद का प्रतिनिधित्व विपक्ष के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव और राज्यसभा सांसद मनोज कुमार झा ने किया। बैठक में एआईएमआईएम के बिहार प्रमुख अख्तरुल ईमान भी शामिल हुए।

राजद नेता तेजस्वी प्रसाद यादव ने कहा, ‘हम लंबे समय से जातीय जनगणना की मांग कर रहे थे। एक राष्ट्रव्यापी जनगणना आदर्श होती, लेकिन हम इस बात से संतुष्ट हैं कि बिहार अपनी जातिगत जनगणना कराने जा रहा है’।

बिहार बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने रोहिंग्या-बंग्लादेशी की गिनती को लेकर आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि जब आप गणना कराएं, तब ऐसा न हो कि कोई रोहिंग्या-बंग्लादेशी भी इसमें गणना करवा ले। फिर इसी के आधार पर वो नागरिकता का क्लेम करें। ये सावधानी हर हाल में बरतनी होगी। उन्होंने कहा कि ये हम सभी का कर्तव्य है कि ये गणना सिर्फ बिहारियों की हो। 1991 में एक बार जांच चली थी, जिसमें लगभग दो लाख लोगों के बारे विवादस्पद जानकारी मिली थी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन लोगों को जातीय गणना में लगाया जाएगा। उनको पहले ट्रेनिंग दी जाएगी, लेकिन पहले कैबिनेट में प्रस्ताव लाया जाएगा। कैबिनेट से प्रस्ताव पास होगा फिर पैसे का प्रबंध किया जाएगा। जातीय गणना पूरी होने पर इसे प्रकाशित किया जाएगा। जिससे सभी लोगों को इसकी जानकारी मिल सके। इसमें जातियों के उप जातियों की भी गणना होगी। सभी सम्प्रदाय की जातियों की गणना होगी। सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि विधान सभा नौ दल इसमें शामिल हुए। जातीय जनगणना के लिए कैबिनेट के द्वारा इसकी समय सीमा तय की जाएगी।

सीएम नीतीश कुमार ने कहा, ‘देश भर में जातीय जनगणना कराने के अनुरोध को लेकर बीजेपी समेत बिहार की सभी पार्टियों ने पिछले साल पीएम से मुलाकात की थी। अब जब केंद्र ने यह स्पष्ट कर दिया है कि राष्ट्रव्यापी जातीय जनगणना नहीं की जा सकती है, तो हमने राज्य की जनगणना कराने का सर्वसम्मति से फैसला लिया है। बता दें, कर्नाटक और तेलंगाना के बाद बिहार अपनी जातीय जनगणना करने वाला तीसरा राज्य होगा।