पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस सरकार के विरोध के चलते भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाही की रैली का मामला एक बार फिर ठंडे बस्ते में चला गया। कलकत्ता हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की बेंच ने भाजपा की खुशी उस वक्त काफूर कर दी जब गुरुवार (20 दिसंबर) को सिंगल बेंच से रैली को मिली हरी झंडी के फैसले को खारिज कर केस को पुनर्विचार के लिए के उसी के पास भेज दिया। सिंगल बेंच के गुरुवार के फैसले के खिलाफ राज्य की ममता बनर्जी सरकार ने कोर्ट मे अपील की थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चीफ जस्टिस देबासीश करगुप्त और जस्टिस शम्पा सरकार की खंडपीठ ने राज्य एजेंसियों द्वारा खुफिया सूचनाओं पर विचार करने के लिए मामले को सिंगल बेंच के पास वापस भेज दिया। हाईकोर्ट के फैसले पर राज्य के बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा, ”कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश पर टिप्पणी करना बहुत जल्दबाजी होगी। अगर जरूरत पड़ी तो हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। हमें आत्मविश्वास है कि न्याय मिलेगा।”
बता दें कि पहले बीजेपी को रथयात्रा के लिए अनुमति देते हुए कोर्ट ने देखा था कि रैली के कारण लोगों को खतरा है तो उसे रोकने के लिए यह हकीकत में होना चाहिए, न कि काल्पनिक या संभावित। राज्य सरकार के तीन अधिकारियों द्वारा बीजेपी की रथयात्रा को खारिज किए जाने का जिक्र करते हुए कोर्ट ने कहा था कि कई जिलों की खुफिया रिपोर्ट बिना उन जिलों का विवरण बताए बिना बनाई गई। पीटीआई की खबर के मुताबिक राज्य सरकार के वकील जनरल किशोर दत्त ने कहा कि सिंगल बेंच ने सीलबंद लिफाफे को खोलकर ही नहीं देखा जिसमें खुफिया इनपुट जमा किए गए थे और लिफाफे को उन्हें वापस कर दिया।
वकील दत्त के मुताबिक उन्होंने 31 जिलों की पुलिस और पांच आयुक्तालय से मिली खुफिया जानकारियां बेंच के सामने रखी थीं, जिसमें बीजेपी के रोडशो को अनुमति मिलने की सूरत में सांप्रदायिक अशांति की आशंकाएं जताई गई थीं। बता दें कि इस महीने की सात तारीख को राज्य में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की रथयात्रा होनी थी लेकिन राज्य सरकार के विरोध के चलते यह नहीं हो सकी। अब मामला कोर्ट में चल रहा है। बीजेपी के लिए चिंता का विषय इसलिए है क्योंकि 2019 के लोकसभा चुनाव में अब ज्यादा वक्त नहीं रह गया है।