गुजरात के मोरबी में केबल सस्पेंशन ब्रिज टूटने से 30 अक्‍टूबर, 2022 की शाम बड़ा हादसा हो गया। ब्रिज टूटने के कारण करीब 400 लोग मच्छु नदी में गिर गए और 135 लोगों की मौत हो गई। 6 महीने से यह पुल रखरखाव के ल‍िए बंद था। हादसे के 5 दिन पहले ही इसे खोला गया था। दिवाली के अगले दिन 25 अक्टूबर को पुल खोला गया था।

यह पुल 140 साल पहले अंग्रेजों के जमाने में बनाया गया था। उस वक्त इस पुल को साढ़े तीन लाख रुपए में बनाया गया था। अब 6 महीने से पुल बंद पड़ा था और 2 करोड़ रुपए में इसकी मरम्मत का काम पूरा किया गया था। बताया जा रहा है कि पुल पर इसकी क्षमता से ज्यादा लोगों के जाने के कारण पुल टूटा है। ब्रिज की क्षमता 100 लोगों की थी, लेकिन इतनी बड़ी संख्या में लोगों के यहां पहुंचने के कारण यह टूट गया।

एक सदी से भी अधिक पुराना है यह पुल

पर्यटकों का प्रमुख आकर्षण केबल ब्रिज एक सदी से भी अधिक पुराना है और पिछले कुछ सालों से इसके रेनोवेशन और मरम्मत का काम चल रहा था। दिवाली से कुछ दिन पहले ही इसका मरम्मत कार्य पूरा किया गया था और इसे हाल ही में जनता के लिए फिर से खोल दिया गया था।

230 मीटर लंबा ऐतिहासिक पुल 19वीं सदी में ब्रिटिश शासन के दौरान बनाया गया था। यह पुल मोरबी ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए ऐतिहासिक धरोहर है। इसका उद्घाटन 20 फरवरी 1879 में किया गया था। उस समय पुल को बनाने का पूरा सामान इंग्लैंड से ही मंगाया गया था। लकड़ी और केबल से इसका निर्माण किया गया था। इसकी चौड़ाई 4.6 मीटर है।

इसी पुल से दरबार जाते थे मोरबी के राजा

केबल सस्पेंशन ब्रिज के जरिए ही मोरबी के राजा प्रजावत्स्ल्य सर वाघजी अपने राज दरबार से राजमहल जाते थे। उनकी रियासत में ही इस पुल का निर्माण किया गया था। अपनी राजशाही खत्म होने के बाद पुल की जिम्मेदारी उन्होंने मोरबी नगर पालिका को सौंप दी थी।

ब्रिज की मरम्मत की जिम्मेदारी 15 साल के लिए ओरोवा ग्रुप के पास है। ग्रुप ने मार्च 2022 से मार्च 2037 तक के लिए मोरबी नगरपालिका के साथ एक समझौता किया है। ओरोवा ग्रुप ही ब्रिज की सुरक्षा, सफाई, टोल वसूलने, रखरखाव और स्टाफ प्रबंधन का काम देखेगा।