प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज शाम साढ़े तीन बजे जलपाईगुड़ी जिला के मयनागुड़ी अंतर्गत चूड़ां भंडार इलाके में जनसभा करेंगे। उससे पूर्व ही उन्होंने उत्तर बंगाल को एक ऐसा तोहफा दिया है जिसका लंबे अरसे से इंतजार था। वह है जलपाईगुड़ी शहर में कलकत्ता हाई कोर्ट के सर्किट बेंच की स्थापना। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली केंद्रीय कैबिनेट ने दो दिन पूर्व ही इसे हरी झंडी दिखाई है। मिली जानकारी के अनुसार प्रधानमंत्री मोदी शुक्रवार शाम मयनागुड़ी में जनसभा के दौरान रिमोट से जलपाईगुड़ी सर्किट बेंच का उद्घाटन करेंगे। उत्तर बंगाल के लोगों को इसका लगभग तीन दशक से इंतजार था।
गौरतलब है की जलपाईगुड़ी में कलकत्ता हाई कोर्ट के सर्किट बेंच की स्थापना का प्रस्ताव वर्ष 1988 कलकत्ता हाई कोर्ट की मीटिंग में आया। उसके लंबे अर्से बाद वर्ष 2006 में केंद्रीय कैबिनेट ने उस प्रस्ताव को स्वीकार किया। उसके बाद भी इसमें काफी लेटलतीफी हुई। इधर, वर्ष 2011 में पश्चिम बंगाल में ममता सरकार आने के बाद इस कार्य को तेजी दी गई। गत वर्ष 2018 में राज्य सरकार ने अपने हिस्से की जिम्मेदारी निभाते हुए जलपाईगुड़ी में कलकत्ता हाई कोर्ट के सर्किट बेंच हेतु आवश्यक आधारभूत संरचना तैयार कर मुकम्मल कर दिया। उसके बाद भी सर्किट बेंच चालू नहीं हो पाया। केंद्र की मोदी व राज्य की ममता सरकार के बीच की रस्साकशी में यह भी लटका रहा।
फिलहाल अब कलकत्ता हाई कोर्ट के सर्किट बेंच का रास्ता साफ हो गया है। केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी मिल जाने के मद्देनजर के अब जल्द ही यहां जज बैठने लगेंगे व अदालत लगने लगेगी। इस सर्किट बेंच के अधिकार क्षेत्र में जलपाईगुड़ी, दार्जीलिंग, कालिम्पोंग व कूचबिहार जिला क्षेत्र के मामलों का निष्पादन है।
इधर, राज्य की तृणमूल कांग्रेस सरकार के पर्यटन मंत्री व उत्तर बंगाल के दिग्गज नेता गौतम देव ने बहुप्रतिक्षित जलपाईगुड़ी सर्किट बेंच को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल द्वारा अपनी जनसभा से दो दिन पहले मंजूरी दिए जाने को राजनीति से प्रेरित बताया है। उन्होंने कहा गत वर्ष समस्त आधारभूत संरचना तैयार कर राज्य सरकार की ओर से बार-बार आग्रह किया गया लेकिन केंद्र की भाजपा सरकार ने कोई सुगबुगाहट नहीं की। अब जब लोकसभा चुनाव निकट है तो सर्किट बेंच को झटपट शुरू किया गया है। केवल चुनावी लाभ के लिए लंबे समय से इसे लटका कर उत्तर बंगाल के लोगों को उच्च न्यायिक सेवा से वंचित रखा गया जो सही नहीं कहा जाएगा।