योगी आदित्यनाथ के सत्ता संभालने के बाद उत्तर प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी और पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया है। नौकरशाह से लेकर पुलिस अधिकारी तक आधी रात तक ड्यूटी कर रहे हैं। रात के 12.15 तक पुलिस अधिकारी मुख्यमंत्री आवास 5 कालिदास मार्ग के बाहर उनके लौटने का इंतजार करते हैं। मुख्यमंत्री कार्यालय शास्त्री भवन के बाहर खड़ा एक कॉन्सटेबल कहता है कि एेसी ड्यूटी तो कभी नहीं की। यहीं सोमवार को सीएम ने मंत्रियों, सचिवों और प्रधान सचिवों के साथ सोमवार देर रात कर मीटिंग की थी। मुख्यमंत्री कार्यालय के बाहर खड़े पुलिस अफसर ही नहीं बल्कि शास्त्री भवन के अंदर मौजूद राज्य के अधिकारियों और उनके जूनियरों की हिम्मत भी जवाब दे जाती है।
टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक योगी से पहले सिर्फ मुलायम सिंह यादव ही एेसे मुख्यमंत्री (1989-90) थे, जो देर रात तक काम करते थे। अयोध्या आंदोलन के दौरान भाजपा-वीएचपी-आरएसएस-बजरंग दल के असर को कम करने की रणनीति बनाने के लिए मुलायम सिंह हर दिन पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बैठक किया करते थे।
‘दवाई भी नहीं लाया’: सचिव स्तर के एक अफसर ने कहा मुझे हार्ट प्रॉब्लम है और मैं अपनी दवाई भी नहीं लाया और रात भी काफी हो चुकी है। यूपी में हड़कंप, योगी राज में आधी रात तक काम रहे हैं अफसर, एक बोला-एेसी ड्यूटी तो कभी नहीं की शीर्ष अधिकारियों के लिए तो मुसीबत और ज्यादा है, क्योंकि अकसर शाम क्लब में बिताने वाले अफसर अब देर शाम तक दफ्तर में दिखाई देते हैं। वहीं मंत्रियों के लिए भी योगी की वर्किंग स्टाइल भारी पड़ रही है। महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अनुपमा जायसवाल को इस बात अंदाजा तब हुआ, जब वह मीटिंग में बिना प्रेजेंटेशन के पहुंच गईं। इसके बाद योगी आदित्यनाथ ने उन्हें चेतावनी देते हुए कहा-यह सब नहीं चलेगा। उन्होंने अन्य मंत्रियों को भी सचेत रहने को कहा।
बता दें कि किसी अन्य मुख्यमंत्री ने अॉफिस में इतना समय नहीं बिताया, कैबिनेट मीटिंग जाने के अलावा ज्यादातर अपने घर से ही काम करते थे, वो भी कुछ ही घंटों के लिए। पूर्व मुख्यमंत्री मायावती शायद ही कभी एनेक्सी आई हों, क्योंकि उनकी सरकार उनके सेक्रेटरी शशांक शेखर सिंह ही चलाते थे। मायावती अपने घर से ही काम करती थीं। वहां जब अधिकारियों को बुलाया जाता था, तो वह कांप जाते थे। इतना ही नहीं उन्हें मीटिंग से पहले जूते उतारने को कहा जाता था।
वहीं अखिलेश यादव की बात करें तो कैबिनेट मीटिंग और किसी डेलिगेशन से मिलने के अलावा वह भी घर से ही काम किया करते थे। टीओआई के मुताबिक अखिलेश एक ब्यूरोक्रेट-फ्रेंडली मुख्यमंत्री थे, क्योंकि उनकी तरफ से ब्यूरोक्रेसी पर परफॉर्म करने का कोई दबाव नहीं था। वह उनके साथ क्रिकेट और फुटबॉल भी खेला करते थे। अचानक मुख्यमंत्री के काम करने के तरीके में बदलाव से यूपी की ब्यूरोक्रेसी में खलबली मच गई है। 27 मार्च को जब सीएम योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर में पहली बैठक की थी तो उन्होंने साफ कहा था कि जो 18-20 घंटे काम कर सकते हैं, वही उनके साथ रहें।