लखनऊ से लेकर फैजाबाद तक बहुजन समाज पार्टी में भगदड़ मची है। विधानसभा चुनाव की दस्तक होते ही राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो चली है। सभी अपने सुरक्षित ठिकानों की तलाश में निकल पड़े है। बहुजन समाज पार्टी में इस बार वह देखने को मिल रहा है जो शायद अब तक कभी नहीं दिखाई दिया। बसपा सुप्रीमो पर टिकट के लिए पैसे की मांग का आरोप लगाते हुए स्वामी प्रसाद मौर्या समेत कई दिग्गजों ने बसपा का दामन छोड़ दिया। उसका असर फैजाबाद जिले पर भी खूब देखने को मिला। यहां के कद्दावर नेता व दलित वोटों पर खासी पकड़ रखने वाले आरके चौधरी ने भी बसपा से किनारा कर लिया है।
जिले में बसपा में मजबूत पकड़ रखने वाले नेता परमदेव यादव भी बसपा से छुटकारा ले चुके हैं। उनका कहना है कि ऐसी पार्टी में नहीं रहना जहां आम कार्यकर्ताओं की कोई सुनवाई न हो। जिले में इस समय ऐसे कई दिग्गज नेता बसपा छोड़ चुके हैं जो कभी पार्टी की पहचान हुआ करते थे।
पिछले विधानसभा चुनाव में गोशाईगंज विधानसभा से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ चुके बाहुबली नेता इंद्र प्रताप तिवारी खब्बू हों, फिरोज खान गब्बर या फिर बलराम मौर्य। ये सभी कभी बसपा की जिले में पहचान हुआ करते थे अब ये पार्टी से बाहर हैं। इन सभी के पास अपना मजबूत वोट बैंक है जो जिले की तकरीबन सभी विधानसभाओं को प्रभावित करता है। बसपा सुप्रीमो मायावती फैजाबाद व आस पास के कई जिलों में बसपा की स्थिति को यहां के पूर्व विधायक जितेंद्र सिंह बबलू की आंखों से देखने के लिए जानी जाती है। कहा जाता है कि पूर्व विधायक सिंह की इन तमाम जिलों में तूती बोलती है और बसपा सुप्रीमो के वे खासम खास है। अब तक यहां जितने भी नेताआें ने पार्टी छोड़ी है। उन सबने ऐसा करने के पीछे पूर्व विधायक को भी एक प्रमुख कारण है। जितेंद्र सिंह बब्लू खुद भी छोड़ कर पीस पार्टी का दामन थाम चुके है, जहां पिछला विधानसभा चुनाव पीस पार्टी के चुनाव निशान पर ही बीकापुर से लड़ चुके हैं।
हालांकि उस चुनाव का नतीजा उन्हें दोबारा अपने पुराने घर वापस ले आया जहां कुछ खास काम करके उन्होंने एक बार फिर बसपा सुप्रीमो का हाथ अपने सिर पर रखवा लिया। अब वे ही जिले में बहुजन समाज पार्टी के कर्ताधर्ता हैं। जैसा वे चाहते हैं वैसा ही होता है। इन सभी नेताओं के बैकग्राउंड पर अगर ध्यान दें तो सभी पार्टी छोड़ चुके नेता अपने पास एक बड़ा वोट बैंक रखते हैं। बाहुबली नेता इंद्र प्रताप तिवारी खब्बू जिले में ब्राह्मण नेता के रूप में स्थापित हैं आज भी इस वर्ग के उनकी पकड़ हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में जब बसपा ने उन्हें गोशाईगंज से उम्मीदवार बनाया तो वहां का चुनाव एकदम से बदल गया। हालांकि इस चुनाव में बाहुबली अभय सिंह ने बाजी मार ली। आज खब्बू तिवारी बसपा में नहीं हैं लेकिन उन्होंने किसी और दल में जाने का अब तक कोई प्रयास भी नहीं किया है। कहीं न कहीं उनकी निष्ठा अभी भी बसपा की ओर ही दिखाई देती है।
बिकापुर विधानसभा 2012 में बसपा के टिकट पर फिरोज खान गब्बर ने जब चुनाव की बागडोर संभाली तो किसी को ऐसा नहीं लग रहा था कि बसपा यहां कोई करिश्मा कर पाएगी लेकिन गब्बर के प्रयास और पार्टी के वोटरों ने सपा उम्मीदवार मित्रसेन यादव को दिन में ही तारे दिखला दिए। महज साढे 17 सौ वोटों से मित्रसेन यादव यह चुनाव जीते। गब्बर भी अब पार्टी में नहीं है उन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते बाहर का रास्ता दिखाया जा चुका है। हालांकि उन्होंने भी अपना झुकाव अब तक किसी और पार्टी की ओर नहीं दिखाया है। बदले हालात में बसपा में उनकी वापसी हो जाए तो कोई ताज्जुब नहीं। पार्टी से निष्कासित एक और जमीनी नेता बलराम मौर्या भी अपने समुदाय के वोटों को एक मुश्त किसी ओर ले जाने में सक्षम बताए जाते है।