SC-ST Reservation: उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने कहा कि उनकी पार्टी एससी और एसटी कैटेगरी के रिजर्वेशन में सब क्लाशिफिकेशन की इजाजत देने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सहमत नहीं है। बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने कहा कि आरक्षण में वर्गीकरण का मतलब आरक्षण को खत्म करके उसे सामान्य वर्ग को देने जैसा ही होगा। हमारी पार्टी सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से सहमत नहीं है और हम रिजर्वेशन में में किसी तरह के वर्गीकरण के खिलाफ हैं।
मायावती ने आगे कहा कि इस मामले में (देविंदर सिंह बनाम पंजाब राज्य) राज्य सरकारें रिजर्व कैटेगरी के लिए नई लिस्ट बना सकेंगी। इसके बाद नए मुद्दे पैदा होंगे। उन्होंने कहा कि इस फैसले के जरिये सुप्रीम कोर्ट ने 2004 में ईवी चिन्नैया बनाम आंध्र प्रदेश राज्य मामले में पांच जजों की बेंच के अपने 20 साल के पुराने फैसले को पलट दिया है। इसमें एससी-एसटी को क्लासिफिकेशन की इजाजत नहीं दी गई थी। इसने एससी-एसटी सब कैटेगरी को लेकर भ्रम भी दूर कर दिया था।
मायावती ने फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की
बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो ने कहा कि हमने सुप्रीम कोर्ट से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की है। वरना देश में करोड़ों दलितों और आदिवासियों को अपने पैरों पर खड़ा करने के लिए अंबेडकर द्वारा दी गई रिजर्वेशन की व्यवस्था को खत्म कर दिया तो बहुत ज्यादा परेशानी खड़ी हो जाएगी। उन्होंने कहा कि जो लोग कहते हैं कि एससी-एसटी फाइनेंसियल तौर पर मजबूत हो गए हैं। उनमें से केवल 10 या 11 फीसदी लोग ही हैं, जो मजबूत हुए होंगे। इसके अलावा 90 फीसदी की हालत अभी भी खराब ही है।
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मायावती ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले की वजह से रिजर्वेशन की जरुरत वाले करीब 90 फीसदी लोग काफी पीछे रह जाएंगे। अगर इस फैसले के हिसाब से उन्हें हटा दिया गया तो बहुत बुरा होगा।
बीजेपी और कांग्रेस पार्टी की मंशा पर उठाए सवाल
मायावती ने सत्ताधारी पार्टी और कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि केंद्र खुद को एससी-एसटी समुदाय का हिमायती बताती है। उन्होंने भी मामले की सही तरीके से पैरवी नहीं की है। कांग्रेस ने भी इस मामले में साफ रुख नहीं अपनाया है। उन्होंने कहा कि ऐसे में हमें केंद्र की बीजेपी सरकार से कहना है कि अगर आपकी नीयत साफ है तो जो भी फैसला आया है, उसे आप लोग संसद में संविधान संशोधन करके संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल कराएं।
राजनीतिक दलों की मंशा पर सवाल खड़े करते हुए मायावती ने कहा कि मैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सहमत नहीं हूं। संसद में इसे पलटने का अधिकार है। अगर वे इसे पलटते नहीं हैं, तो चाहे कांग्रेस हो, बीजेपी हो या अन्य दल, एससी, एसटी और ओबीसी के रिजर्वेशन के मामले में उनकी मंशा साफ नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट के जजों ने फैसले में क्या कहा
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक ऐतिहासिक फैसले में कहा कि राज्यों को एससी-एसटी के अंदर सब क्लासिफिकेशन का संवैधानिक अधिकार है। 6:1 के बहुमत से दिया गया यह फैसला ई.वी. चिन्नैया बनाम आंध्र प्रदेश राज्य के 2004 के फैसले को रद्द कर देता है। यह फैसला सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सात जजों की बेंच ने सुनाया। इस बेंच में जस्टिस बीआर गवई, विक्रम नाथ, बेला एम त्रिवेदी, पंकज मिथल, मनोज मिश्रा और सतीश चंद्र शर्मा भी शामिल थे। छह जज तो सब क्लासिफिकेशन पर राजी थे, लेकिन जस्टिस बेला एम त्रिवेदी इस फैसले से असहमत नजर आईं। संबंधित खबर के लिए यहां क्लिक करें…