उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा और रालोद गठबंधन में दरार को लेकर चल रही तमाम खबरों को लेकर बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने मंगलवार (4 जून) को प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान मायावती ने गठबंधन में किसी भी तरह की दरार को नकार दिया। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में गठबंधन को यादव वोट नहीं मिले, लेकिन अखिलेश और डिंपल से रिश्ते खत्म नहीं हुए हैं। इस दौरान उन्होंने राजनीतिक मजबूरियों का भी हवाला दिया।
अखिलेश-डिंपल ने दिया काफी सम्मान: बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने कहा, ‘‘सपा प्रमुख अखिलेश यादव और उनकी पत्नी डिंपल यादव ने मुझे काफी सम्मान दिया। मैंने भी देश के हित के लिए अपने मतभेदों को भुला दिया और उन्हें सम्मान दिया। हमारे रिश्ते सिर्फ राजनीतिक नहीं हैं। हमारे रिश्ते लगातार जारी रहेंगे।’’
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राजनीतिक मजबूरी का दिया हवाला: बीएसपी प्रमुख मायावती ने सपा-बसपा गठबंधन को लेकर राजनीतिक मजबूरियों का हवाला दिया। उन्होंने कहा, ‘‘हम राजनीतिक मजबूरियों को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं। लोकसभा चुनाव 2019 के नतीजों में यूपी में यादव समुदाय ने हमें सपोर्ट नहीं दिया। यहां तक कि सपा के मजबूत प्रत्याशी भी चुनाव हार गए।’’’
यह परमानेंट ब्रेक नहीं: मायावती ने कहा कि सपा-बसपा गठबंधन पर यह परमानेंट ब्रेक नहीं है। अगर भविष्य में सपा प्रमुख अपने कैडर को एकजुट करने में सफल होते हैं तो हम दोबारा साथ काम करेंगे। यह हमारे लिए अच्छा होगा कि हम अलग होकर काम करें। ऐसे में हमने अकेले उप-चुनाव लड़ने का फैसला किया है।
सपा के मजबूत प्रत्याशी भी हारे: मायावती ने कहा कि यादव वोट एकजुट नहीं हुआ। इसकी वजह से सपा के डिंपल यादव, धमेंद्र यादव और अक्षय यादव भी चुनाव हार गए। अगर भविष्य में यादव वोट बैंक एकजुट होता है तो हम एक साथ काम करेंगे।
पीएम मोदी ने की थी भविष्यवाणी: बता दें कि पीएम मोदी ने 12 मई को मेरठ में जनसभा को संबोधित किया था। उस दौरान उन्होंने भविष्यवाणी की थी कि लोकसभा चुनाव खत्म होते ही यूपी में सपा-बसपा गठबंधन टूट जाएगा। वहीं, चुनाव के नतीजे सामने आने के बाद दोनों दलों के बीच खींचतान शुरू हो गई थी और गठबंधन टूटने पर अटकलें लगने लगी थीं।
