अपने दो दिवसीय दौरे पर भारत आए ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन गुरुवार को गुजरात की राजधानी अहमदाबाद पहुंचे और साबरमती आश्रम गए। उन्होंने वहां चरखा चलाया और गांधीजी के विचारों और भावनाओं के प्रति अपनी सहमति व्यक्त की। यह संयोग ही है कि 100 साल पहले जिस जगह अंग्रेज सरकार ने महात्मा गांधी को राजद्रोह की सजा सुनाते समय खड़ा कराया था, 100 साल बाद उसी जगह महात्मा गांधी की तस्वीर के सामने अंग्रेज सरकार के मुखिया बोरिस जॉनसन हाथ जोड़कर खड़े हुए।
अहमदाबाद के जिला न्यायालय के जज सीएन ब्रूमफील्ड ने उनको राजद्रोह की सजा सुनाई थी। इस मुकदमे की सुनवाई करते के दौरान जज ने यह स्वीकारा किया कि करोड़ों भारतीयों की नजरों में गांधी एक ‘महान देशभक्त और एक महान नेता’ हैं। और राजनीति तौर पर उनसे अलग मत रखनेवाले भी गांधी को ‘महान आदर्शों वाला व्यक्ति’ मानते हैं।
गांधी को छह साल की सजा सुनाई गई, जो उनके ही हिसाब से इस मामले में किसी जज के द्वारा दी जा सकने वाली सबसे हल्की सजा थी। हालांकि उन्हें जेल भेज दिया गया, लेकिन यह पूरा मुकदमा उनके लिए एक बड़ी राजनीतिक जीत थी। उन्होंने आंदोलन में फिर से जान डाल दी थी; जनता में नई ऊर्जा का संचार किया था.
ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने गुरुवार को महात्मा गांधी को ”असाधारण व्यक्ति” बताया, जिन्होंने दुनिया को बेहतर बनाने के लिए सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों पर बल दिया।
जॉनसन साबरमती आश्रम का दौरा करने वाले ब्रिटेन के पहले प्रधानमंत्री बने। साबरमती आश्रम से महात्मा गांधी ने एक दशक से अधिक समय तक ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से स्वतंत्रता के लिए भारत के आंदोलन का नेतृत्व किया था। जॉनसन ने गांधी आश्रम में आगंतुक-पुस्तिका में लिखा, ”इस असाधारण व्यक्ति के आश्रम में आना और यह समझना कि उन्होंने दुनिया को बेहतर बनाने के लिए किस प्रकार सत्य और अहिंसा के सरल सिद्धांतों पर बल दिया, यह बहुत बड़ा सौभाग्य है।”
इस मौके पर आश्रम के न्यास ने उन्हे दो किताबें भेंट की जिनमें एक अप्रकाशित गाइड है जो लंदन में रहने के इच्छुक लोगों के लिए स्वयं महात्मा गांधी ने लिखी थी। आश्रम के प्रवक्ता विराट कोठारी ने बताया कि जॉनसन गुरुवार सुबह अहमदबाद हवाई अड्डे पर पहुंचने के बाद साबरमती आश्रम गए जहां पर उनका स्वागत गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल और आश्रम के न्यासी कार्तिकेय साराभाई ने किया।
महात्मा गांधी ने इस आश्रम में वर्ष 1917 से 1930 तक निवास किया था। प्रवक्ता ने बताया कि साबरमती आश्रम संरक्षण और स्मारक न्यास की ओर से साराभाई ने दो पुस्तक और चरखे की प्रतिकृति जॉनसन को भेंट की जो यहां करीब 30 मिनट तक रहे। उन्होंने बताया कि महात्मा गांधी को पुष्पांजलि अर्पित करने के बाद जॉनसन ‘हृदय कुंज’’गए जहां महात्मा गांधी रहते थे। इसके बाद वह ‘‘मीरा कुटीर’’गए जहां पर गांधी की इंग्लैंड में जन्मी अनुयायी मीराबेन या मैडलिन स्लेज रहती थीं।