बंबई उच्च न्यायालय ने बुधवार को भारतीय रेलवे से जानना चाहा कि क्यों रेलवे स्टेशनों पर सिर्फ एक ब्रांड के मिनरल वाटर को बेचने की अनुमति है जबकि वहां विभिन्न ब्रांड और किस्म के खाद्य पदार्थ उपलब्ध हैं। न्यायमूर्ति एन एच पाटिल की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय पीठ यात्री लोपेश वोरा द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में रेलवे के अधिकारियों द्वारा पिछले साल जारी एक परिपत्र को चुनौती दी गई है जिसमें ठेकेदारों और कैटररों को प्लेटफॉर्म और रेलवे स्टेशनों पर दुकानों में सिर्फ ‘रेल नीर’ का भंडारण और बिक्री करने को कहा गया था। ‘रेल नीर’ भारतीय रेलवे कैटरिंग एवं पर्यटन निगम (आईआरसीटीसी) द्वारा आपूर्ति किया जाने वाला पैकेज्ड पेयजल है।

वोरा ने अपनी याचिका में दावा किया कि यात्री के पास अपनी पसंद का ब्रांड खरीदने और पीने का अधिकार होना चाहिए। याचिका में कहा गया है, ‘‘रेल नीर सिर्फ एक लीटर की बोतल में उपलब्ध है। जहां बिसलरी जैसे अन्य ब्रांड 500 मिली लीटर की बोतल में भी उपलब्ध हैं। क्यों किसी को अनिवार्य रूप से एक लीटर की बोतल खरीदने पर मजबूर किया जाना चाहिए। इसके अलावा कोई यह नहीं जानता कि क्या रेल नीर का पानी अच्छी गुणवत्ता का है।’’

अदालत ने कहा, ‘‘अगर रेलवे स्टेशनों पर विभिन्न ब्रांड और किस्म के खाद्य पदार्थ उपलब्ध हैं तो पानी क्यों नहीं। आपको (रेलवे) अन्य ब्रांडों की भी अनुमति देनी चाहिए। अगर रेलवे का दावा है कि आईआरसीटीसी नुकसान का सामना कर रही है तो तो बुक किए जाने वाले प्रत्येक टिकट के साथ रेल नीर मुफ्त में दिया जा सकता है जिससे लोग इसे खरीदने को प्रोत्साहित हों।’’

उच्च न्यायालय ने रेलवे अधिकारियों और आईआरसीटीसी को जनहित याचिका में उठाई गई दलीलों पर विचार करने और चार सप्ताह में अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। इससे पहले उच्च न्यायालय की एक अन्य पीठ ने इंडियन रेलवे कैटरर्स एसोसिएशन द्वारा परिपत्र को चुनौती देते हुए याचिका खारिज कर दी थी।