बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को केंद्रीय एजेंसियों को एक आरोपी के खिलाफ लुक आउट सर्कुलर जारी करने के लिए फटकार लगाई, जबकि इस आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया था और बाद में विभिन्न अदालतों द्वारा जमानत भी दी गई थी।
जस्टिस एएस गडकरी और जस्टिस मिलिंद जाधव की बेंच ने केंद्रीय एजेंसियों – केंद्रीय जांच ब्यूरो और प्रवर्तन निदेशालय की ओर से पेश हो रहे वकील से पूछा कि किस कानून के तहत लुक आउट सर्कुलर जारी किया गया था जबकि आरोपी को सुप्रीम द्वारा जमानत पर रिहा किया गया था।
बेंच ने वकील से पूछा, “आप (एजेंसी) इस तरह के न्यायिक आदेशों का उल्लंघन कैसे कर सकते हैं? क्या आप (केंद्रीय एजेंसी) संसद से ऊपर हैं? आप अब संसद से भी आगे निकल रहे हैं?” कोर्ट यस बैंक के संस्थापक राणा कपूर की बेटी रोशनी कपूर द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें केंद्रीय जांच ब्यूरो के कहने पर गृह मंत्रालय द्वारा उनके खिलाफ जारी लुक आउट सर्कुलर को चुनौती दी गई थी।
डीएचएफएल को धोखाधड़ी से वित्तीय सहायता प्रदान करने के बदले में कथित रूप से अनुचित लाभ लेने के लिए आपराधिक साजिश का हिस्सा होने के मामले में कपूर की सीबीआई और ईडी द्वारा जांच की जा रही थी। कपूर ने अपनी याचिका में कहा कि गिरफ्तार किए गए एक आरोपी के खिलाफ एलओसी जारी करना कानून का उल्लंघन है।
लुकआउट नोटिस सिर्फ फरार आरोपी के लिए – कोर्ट
इस मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने वकील से पूछा कि गिरफ्तार किए गए व्यक्ति के खिलाफ एलओसी कैसे जारी किया जा सकता है। जस्टिस गडकरी ने कहा कि लुकआउट नोटिस सिर्फ फरार आरोपी के लिए होता है, एक बार आरोपी गिरफ्तार हो जाए तो लुकआउट नोटिस खत्म होना चाहिए।
वकील ने दिए तर्क
इस पर वकील ने कहा, “एक बार जब आरोपी जमानत पर छूट जाता है, तो एलओसी को अमल में लाया जाना चाहिए। कई मामलों में यह पाया गया है कि जमानत देते समय अदालत द्वारा लगाई गई शर्तों के बावजूद, अभियुक्तों ने आदेश का उल्लंघन करते हुए देश की सीमा पार की है, जिसके बाद उन्हें ट्रैक करना मुश्किल हो जाता है।”
